Prashant Kishor : जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को बर्खास्त करने और जेल भेजने की मांग की है. प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार से मांग की है कि सामुहिक हत्या के अभियुक्त रहे सम्राट चौधरी को बिहार सरकार में मंत्री के पद से बर्खास्त किया जाना चाहिये और उन्हें जेल भेजा जाना चाहिये. पीके ने राज्स सरकार, केंद्र सरकार और राज्यपाल से मांग की है कि सम्राट चौधरी को तत्काल बर्खास्त किया जाये और जेल भेजा जाये.
VIDEO | Patna: “(Bihar Deputy CM) Samrat Choudhary should be immediately arrested as he was convicted in a murder case in 1995 but released after the court wrongly ruled that he was a minor,” says Jan Suraaj founder Prashant Kishor, addressing a press conference.
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— Press Trust of India (@PTI_News) September 29, 2025
Prashant Kishor ने पटना में किया प्रेस काफ्रेंस
बिहार में इन दिनों आरोपो प्रत्यारोपों के सिलसिला जारी है. चुनाव के तारीखों की घोषणा से पहले हर पार्टी दूसरे से बढ़त लेने की जुगाड़ में है और इस लिए धीर- धीरे अपने तरकश के तीर बाहर निकाल रही है. पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे प्रशांत किशोर चुनावी रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं और अब अपनी उसी रणनीति के आधार पर अपने विरोधियों को घेरने में लगे हैं. अभी तक राज्य में शिक्षा, रोजगार और पलायन रोकने की बात करने वाले प्रशांत किशोर ने विशुद्ध रुप से राजनीति दांवपेंच आजमाना शुरु कर दिया है.
सम्राट चौधरी पर लगाया हत्या में शामिल होने के आरोप
आपको बता दें कि जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने 1995 में तारापुर में हुए सामुहिक हत्या’कांड की याद दिलाई जिसमें छह लोगों की हत्या हुई थी. इस हत्या’कांड में अन्य अरोपियो के साथ सम्राट चौधरी भी आरोपी थे.प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया है कि आरोपी रहे सम्राट चौधरी ने उस समय अपनी उम्र का गलत दस्तावेज देकर कोर्ट से राहत ली थी.
पीके ने दिया दस्तावेज
प्रशांत किशोर का कहा है कि सम्राट चौधरी ने 1995 में अपनी उम्र 14-15 साल बताई थी और इसे साबित करने के लिए बिहार बोर्ड की परीक्षा का एडमिट कार्ड दिया था . लेकिन सम्राट चौधरी ने 2020 के चुनाव में अपनी उम्र का जो शपथ पत्र दिया था , उसके मुताबिक वो उस समय 51 साल के थे. प्रशांत किशोर का कहना है कि अगर 2020 में सम्राट चौधरी 51 साल के थे तो उसके आधार पर 1995 में उनकी उम्र 26 साल उम्र बनती है. यानी वो उस समय नाबालिग नहीं थे. प्रशांत किशोर का दावा है कि अपनी उम्र गलत बता कर कानून का फायदा उठाने वाले व्यक्ति को सरकार में जिम्मेदार पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं हैं,इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सम्राट चौधरी को जेल भेजना चाहिये.
प्रशांत किशोर ने दिया पूरा ब्योरा
प्रशांत किशोर ने तारापुर में हुए हत्याकांड के बारे में पत्रकारों के बताया कि – ‘तारापुर में 1995 में छह लोगों की जो हत्या हुई, वे सभी कुशवाहा समाज के थे. सम्राट चौधरी छह लोगों की हत्या के आरोपी नहीं बल्कि अभियुक्त हैं. केस के बारे में डिटेल देते हुए पीके ने बताया कि “ राकेश कुमार उर्फ सम्राट कुमार मौर्य उर्फ सम्राट चौधरी. तारापुर केस नंबर 44/1995. 24 अप्रैल 1995 को इन लोगों ने सीजेएम कोर्ट में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बिहार बोर्ड) का प्रवेश पत्र जमा किया. एडमिट कार्ड में नाम- सम्राट चंद्र मौर्य. पिता का नाम- शकुनी चौधरी. जन्मतिथि- 1 मई 1981. रिजल्ट- फेल. नंबर आया 268. कैटेगरी प्राइवेट है.”
प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर लगाये गंभीर आरोप
जनसुराज पार्टी के संस्थापक ने सोमवार को पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस किया, जिसमें डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर एक और गंभीर आरोप लगाया. पीके ने 1995 के तारापुर सामुहिक हत्याकांड के साथ-साथ 1999 में पटना में हुए शिल्पी- गौतम की हत्या में शामिल होने का भी आरोप लगाया. आपको बता दें कि 1999 में पटना में हुए शिल्पी जैन- गौतम हत्याकांड राष्ट्रीय जनता दल के राबड़ी सरकार में हुए सबसे चर्चित और विवादास्पद मामलों में से एक है. आज भी इसे बिहार में जंगलराज ‘जंगलराज’ का प्रतीक माना जाता है. सम्राट चौधरी उस समय राष्ट्रीय जनता दल में हुआ करते थे. शिल्पी-गौतम हत्याकांड के 26 साल बाद भी इस केस में अब तक ये नहीं साफ नही है कि शिल्पी जैन और उनके मित्र गौतम की मौत किस तरह से हुई. ये हत्याकांड आज भी कई सवालों से घिरा हुआ है कि क्या ये वाकई आत्महत्या थी या राजनीतिक दबाव में सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले को दबा दिया गया.
सम्राट चौधरी ने किया पलटवार- ‘ पीके खोजी पत्रकार बन गये हैं’
प्रशांत किशोर पहले भी सम्राट चौधरी पर आरोप लगाते रहे हैं. पीके के आरोपों पर सम्राट चौधरी ने तंज सकते हुए कहा कि – ‘पीके खोजी पत्रकार बन गए हैं’ .
पीके ने अपने आरोपों के समर्थन में कहा कि उनके पास मौजूद सारे दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेज हैं,जो सम्राट चौधरी ने जमा किया है. इन दस्तावेजों में उनकी जन्मतिथि 1981 की है. जिसके आधार पर 1995 में उन्हें सीजीएम कोर्ट में 15 साल का नाबालिग बता कर राहत दिया गया और जेल से बाहर निकाला गया क्योंकि कानूनन 18 साल से कम उम्र के नाबालिग को बच्चे को जेल में नहीं रखा जा सकता. पीके ने कहा कि गलत दस्तावेजों के आधार पर सम्राट चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए उनको गिरफ्तार करना चाहिए. पीके ने कहा कि 26 साल की उम्र में जिस व्यक्ति पर 6 लोगों की हत्या का आरोप लगा हो वो राज्य का डिप्टी सीएम बनकर बैठा हुआ है, उनको जेल में होना चाहिये.