Friday, September 19, 2025

सेबी ने खोली दरवाजे, अब बैंक और पेंशन फंड कर सकेंगे गैर-कृषि कमोडिटी में निवेश

- Advertisement -

व्यापार: बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों को गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव बाजारों में निवेश की मंजूरी मिल सकती है। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा, इसके लिए सरकार से बातचीत की जाएगी। बाजार नियामक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को गैर-नकद निपटान वाले गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव अनुबंधों में व्यापार करने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है।

सेबी चेयरमैन ने एक कार्यक्रम में कहा, दिसंबर अंत तक अनुपालन रिपोर्टों के लिए एक सामान्य रिपोर्टिंग तंत्र में कमोडिटी विशेष ब्रोकरों को शामिल किया जाएगा। भारत वैश्विक स्तर पर मूल्य लेने वाला बनने के बजाय मूल्य-निर्धारक बनने की आकांक्षा रखता है। इस पर विचार करने की जरूरत है कि देश और विदेश में भारतीय बेंचमार्क की स्वीकार्यता कैसे बढ़ाई जाए। मौजूदा समय जैसे अस्थिर समय में, एक्सचेंज मूल्य बीमा के एक अच्छे साधन के रूप में काम कर सकते हैं और लाभ मार्जिन की रक्षा में मदद कर सकते हैं।

पांडे ने कहा, एल्युमीनियम और तांबे के आयात पर अमेरिकी शुल्क दोगुना होने से भारत के निर्यात पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे अस्थिर माहौल में एक मजबूत डेरिवेटिव बाजार ढाल प्रदान करता है। इससे भारतीय उत्पादकों और उपभोक्ताओं को वैश्विक मूल्य झटकों से बचाव में मदद मिलती है।  उन्होंने कहा, सेबी कमोडिटी बाजारों की अखंडता और सुरक्षा को मजबूत करना जारी रखेगा।

कंपनियां पांच वर्षों में कर सकती हैं 800 अरब डॉलर तक निवेश
रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च में उछाल की संभावना कम है। हालांकि, मध्यम से लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर दिख रही है। पांच वर्षों में कंपनियां 800 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर सकती हैं।

एसएंडपी के एक अधिकारी ने कहा, निजी क्षमता में बड़े पैमाने पर वृद्धि के मामले में हम अब भी कुछ हद तक सतर्कता बरत रहे हैं। हमें लगता है कि यह समय के साथ होगा। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, निजी निवेश हो रहे हैं, लेकिन उनकी वृद्धि दर नॉमिनल जीडीपी से पीछे चल रही है। यह पर्याप्त नहीं है। वैश्विक व्यापार नीतियों व टैरिफ में बदलाव से बहुत अधिक अनिश्चितता है। इस कारण कंपनियां निवेश में देरी कर रही हैं। कई कंपनियां बैंकों से संसाधन लेने के बजाय अपने आंतरिक संसाधनों से निवेश कर रही हैं।  

आईटी कंपनियों की चांदी, दिसंबर तक 13 अरब डॉलर के सौदे का होगा नवीनीकरण
 घरेलू सूचना एवं प्रौद्योगिकी कंपनियों की चांदी हो गई है। दिसंबर अंत तक 13 अरब डॉलर के आईटी सौदों का नवीनीकरण होगा। इससे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, एचसीएल टेक और विप्रो को इस आकर्षक बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने का अवसर मिल रहा है।

इस कैलेंडर वर्ष में सौदों का बाजार 2024 में 14 अरब डॉलर मूल्य के नवीनीकरण को पार करने की संभावना है। भारत के 283 अरब डॉलर के सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात उद्योग के लिए बड़े सौदों की कीमत 10 करोड़ डॉलर व उससे ज्यादा होती है। ज्यादा बड़े सौदों के लिए यह 50 करोड़ डॉलर और उससे ज्यादा होती है। 2025 की दूसरी छमाही में 600 से ज्यादा कांट्रैक्ट का नवीनीकरण होना है। इनका औसत आकार 2 करोड़ डॉलर से लेकर 1 अरब डॉलर और कुछ का आकार 2 अरब डॉलर से भी अधिक है।  

टीसीएस को मिला 64 करोड़ डॉलर का ऑर्डर
टीसीएस ने इस महीने की शुरुआत में डेनिश बीमा कंपनी ट्रिग से सात साल के अनुबंध में 64 करोड़ डॉलर का ऑर्डर जीता। यह जनवरी, 2024 के बाद से संभवतः पहला बड़ा सौदा है। विप्रो ने यूरोपीय खाद्य थोक विक्रेता मेट्रो के साथ कम अवधि के सौदे का नवीनीकरण किया। 2021 में चार साल के अनुबंध को पूरा करने के बाद इसे दो साल के लिए बढ़ा दिया। नवीनीकरण में वित्तीय सेवाओं और विनिर्माण सहित अन्य उद्योगों से जुड़े 800 से ज्यादा सौदे शामिल हैं।

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news