Malegaon blast verdict : महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में मालेगांव में मस्जिद के बाहर हुए ब्लास्ट में मामले में गुरुवार को स्पेशल कोर्ट का फैसला आया. स्पेशल कोर्ट में 2018 में इस मुकदमें की नियमित सुनवाई शुरु हुई जो 19 अप्रैल 2025 को खत्म हो गई. इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया हैं.
Malegaon blast verdict : किस आधार पर बरी हुए आरोपी
मुंबई की विशेष अदालत ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि मस्जिद के बाहर किसने बाइक पार्क की थी, इसके कोई सबूत नहीं मिले. पत्थरबाजी के भी सबूत नहीं मिले. सार्वजनिक संपत्ति को किसने नुकसान पहुंचाया, घटना के बाद पुलिस से किसने बंदूकें छीनी, इन सभी आरोपों को सिद्ध करने के लिए कोई सबूत नहीं मिले हैं. स्पेशल कोर्ट ने कहा कि इस मामले में UAPA लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि जो आरोप लगाये गये, वो बिना सोचे-समझे लगाए गए थे. ये आरोप कि ‘अभिनव भारत’ के फंड का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया इसे साबित करने के लिए भी कोई साक्ष्य नहीं मिले. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी ठोस साक्ष्य के केवल मनगढ़ंत कहानियों के आधार पर आरोप लगाये.
मालेगाम ब्लास्ट मामले में किन आरोपियों पर चल रहे मुकदमें ?
मालेगांव ब्लास्ट मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने 7 आरोपी बनाये गये थे, इनमें भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सांसद पूर्व साध्वी प्रज्ञा सिंह और कर्नल पुरोहित भी शामिल थे. जानकारी के मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान गवाही के लिए कोई भी चश्मदीद नहीं मिला. जो गवाह थे वो भी बयान से पलट गये.गवाहों और सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी आरोपियो को बरी कर दिया.
मालेगांव ब्लास्ट में गई थी 6 लोगों की जान
2008 में मालेगांव में हुए साइकिल बम के ब्लास्ट में छह लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस मामले में यूपीए सरकार में साध्वी प्रज्ञा के साथ-साथ लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर ब्लास्ट में शामिल होने के आरोप लगे. इन सभी पर UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया था.
कैसे चली जांच
2008 में मस्जिद के बाहर हुए ब्लास्ट मामले ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया था. शुरुआत में इस मामले की जांच महाराष्ट्र एंटी टैरेरिस्ट स्क्वॉड (Maharashtra ATS) को दी गई थी, लेकिन बाद में इसे नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया था. शुरुआती जांच में महाराष्ट्र एटीएस ने आरोप लगाये थे कि इस हमले के लिए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपनी मोटरसाइकिल मुहैया करायी थी. इसी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल ब्लास्ट के लिए किया गया था. एटीएस के जिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल मस्जिद के बाहर विस्फोट के लिए किया गया था, वो साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी.
एटीएस के मुताबिक ऐसे रची गई थी साजिश ...
एटीएस ने अपनी जांच के दौरान ये दावा था कि मालगांव में ब्लास्ट करने के लिए पूरी रणनीति तैयार की गई थी. धमाके से पहले भोपाल, इंदौर और कुछ अन्य शहरों में कथित तौर पर कई बैठकें की गई थीं, जहां साजिश रची गई.
2008 के ब्लास्ट का मामला महाराष्ट्र एटीएस से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पास आ गया और फिर NIA ने इस मामले की जांच की. 2018 में अदालत में मामला आया और 19 अप्रैल 2025 को इस केस पर सुनावई समाप्त हो गयी. 19 अप्रैल को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
फैसला आने के बाद भाजपा कांग्रेस पर आक्रमक
स्पेशल कोर्ट का फैसला आने के बाद अब बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है. भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट के बाद शुरु हुए ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि देश में ना कभी भगवा आतंकवाद था, ना होगा. कोर्ट ने कांग्रेस की इस थ्योरी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है.कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि कांग्रेस ने ये थ्योरी सत्ता के लिए बनाई थी, जिसका मकसद हिंदुओं को बदनाम करना था. अब कोर्ट के फैसले ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है.