नई दिल्ली | बैंक व गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं से लोन लेने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। जिसे देखते हुए अब क्रेडिट स्कोर को मापने के तरीके में बदलाव की जरूरत महसूस की जाने लगी है। इस दिशा में RBI और वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की पहल पर कई शुरुआत भी की गई है।
हाल ही में देश के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में यूनिफाइड पेमेंट (UPI) की तरह यूनिफाइड लैंडिंग इंटरफेस (ULI) प्लेटफार्म को जोड़ा गया है जिसकी मदद से किसी व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर के नहीं रहने पर भी उसकी क्रेडिट क्षमता का आंकलन किया जा सकेगा। वित्तीय सेवा विभाग ने केंद्र और राज्य के सभी विभागों को ULI से जुड़ने के लिए कहा है ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी व्यक्ति की तमाम जानकारी हासिल की जा सके।
क्या फायदा होगा?
नाबार्ड से लेकर देश के सभी को-ऑपरेटिव और ग्रामीण बैंकों के ULI से जुड़े होने से किसी व्यक्ति के नकद के रूप में लिए जाने वाले कर्ज की भी जानकारी मिलेगी। व्यक्ति की प्रॉपर्टी, खेत-खलिहान जैसी तमाम जानकारी ULI के माध्यम से मिल जाएगी। जिन किसानों ने अब तक कोई कर्ज नहीं लिया है, उनकी जमीन से लेकर उनकी फसल का ब्योरा भी आसानी से मिल सकेगा। ULI फ्रेमवर्क को ई-कामर्स और गिग वर्कर्स प्लेटफार्म भी जोड़ा जाएगा ताकि छोटे-छोटे क्रेता और विक्रेता के साथ सभी गिग वर्कर्स का क्रेडिट स्कोर तैयार किया जा सके।
25 साल पुराने तरीके का इस्तेमाल
RBI का मानना है कि क्रेडिट स्कोर तैयार करने के लिए 25 साल पुराने तरीके का इस्तेमाल हो रहा है। तब क्रेडिट स्कोर मापने के लिए क्रेडिट इंफार्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिबिल) की स्थापना की गई। उसके बाद तीन अन्य कंपनियां भी क्रेडिट इंफार्मेशन कंपनी (CIC) के रूप में काम कर रही है।
रियल टाइम में अपडेट होगा सिबिल स्कोर
RBI का मानना है कि अभी किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर जिसे आम बोलचाल की भाषा में सिबिल भी कहते हैं, 15 दिनों में अपडेट किया जाता है। अब इसे रियल टाइम के आधार पर अपडेट करने की जरूरत है। कई बार ऐसा भी होता है कि डाटा का उपलब्धता में गलती के कारण गलत क्रेडिट स्कोर तैयार हो जाता है जिसका खामियाजा ग्राहकों को भुगतना पड़ता है। इसलिए RBI अब कर्ज लेने वालों के लिए एक यूनिक पहचान संख्या की शुरुआत करने पर भी विचार कर रहा है। इसके अलावा सटीक और रियल टाइम डाटा की उपलब्धता पर जोर दिया जा रहा है।
जिनका सिबिल स्कोर नहीं, उन्हें नहीं मिलता था लोन
ग्रामीण इलाके में कई ऐसे भी लोग है जिनका कोई सिबिल स्कोर नहीं है। ऐसे में उन्हें कर्ज मिलने में दिक्कत होती है। इसे देखते हुए पिछले साल पेश होने वाले बजट में ग्रामीण क्रेडिट स्कोर के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने की घोषणा की गई थी, जिस पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम हो रहा है। जल्द ही देश भर में वित्तीय संस्थान लोन देने के लिए ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल करेंगे।