Sunday, June 8, 2025

Anil Aggarwal De Beers : हीरे के कारोबार में एंट्री की तैयारी !

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Anil Aggarwal De Beers : हीरे की दिग्गज कंपनी De Beers में बड़ी हलचल मची है. खबर है कि भारतीय मूल के अरबपति अनिल अग्रवाल और कतरी निवेश फंड्स इस प्रतिष्ठित डायमंड कंपनी को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. De Beers की मालिक एंग्लो अमेरिकन (Anglo American) कंपनी ने हाल ही में कहा था कि वह अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा कर रही है और De Beers को बेचने की संभावना पर विचार कर रही है. इसके बाद से ही दुनियाभर के निवेशकों की नजर इस डील पर टिक गई है.

Anil Aggarwal De Beers:अनिल अग्रवाल खरीद सकते हैं कंपनी

रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अग्रवाल और कतरी निवेशक इस संभावित सौदे में हिस्सा लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अभी किसी भी पक्ष ने औपचारिक प्रस्ताव नहीं दिया है और बातचीत शुरुआती चरण में है. Anglo American अभी इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है.

सबसे पुरानी हीरा कंपनी

De Beers दुनिया की सबसे बड़ी और पुरानी हीरा कंपनियों में से एक है. इस कंपनी ने ना सिर्फ ग्लोबल डायमंड मार्केट को दशकों तक नियंत्रित किया, बल्कि ‘हीरा सदा के लिए होता है’ जैसी ब्रांडिंग के जरिए लोगों की सोच पर भी गहरा प्रभाव डाला.

रिपोर्ट के मुताबिक अगर यह डील होती है, तो अनिल अग्रवाल की यह बड़ी वापसी होगी. उन्होंने इससे पहले वेदांता रिसोर्सेज के जरिए माइनिंग और कमोडिटी सेक्टर में अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी.हालांकि, Anglo American की ओर से कहा गया है कि वे रणनीतिक समीक्षा की प्रक्रिया के तहत कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और De Beers की बिक्री की कोई गारंटी नहीं है.इस संभावित सौदे को लेकर निवेशकों और ग्लोबल मार्केट की निगाहें अब Anglo American की अगली चाल पर हैं.

क्या है प्लानिंग?

डी बीयर्स को एंग्लो अमेरिकन से अलग किया जा रहा है, क्योंकि लंदन में सूचीबद्ध यह खनन कंपनी तांबे और लौह अयस्क पर पुनः ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन यह कदम वैश्विक स्तर पर हीरे की कीमतों पर दबाव के कारण उठाया गया है. दो सूत्रों ने बताया कि वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अग्रवाल, जिनकी जाम्बिया और दक्षिण अफ्रीका में खदानें हैं, एक बड़े समूह के हिस्से के रूप में इच्छुक पक्षों में से एक हैं.

एंग्लो और अग्रवाल दोनों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि केजीके ग्रुप और कापू जेम्स सहित भारतीय कंपनियां जो घरेलू कटिंग और पॉलिशिंग व्यापार पर हावी हैं और डी बीयर्स की सबसे बड़ी ग्राहक हैं ने भी रुचि दिखाई है.

केजीके ग्रुप और कापू जेम्स ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. एंग्लो अमेरिकन, जिसका डी बीयर्स के लिए बही मूल्य 4.9 बिलियन डॉलर है, पिछले दो वर्षों में 3.5 बिलियन डॉलर का नुकसान होने के बाद ने कहा कि उसने बिक्री या विभाजन और संभावित लिस्टिंग में मदद के लिए मॉर्गन स्टेनली, गोल्डमैन सैक्स और सेंटरव्यू जैसे वित्तीय सलाहकारों को रखा है.

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