झारखंड के घाघीडीह जेल में 25 जून 2019 को एक विचाराधीन कैदी मनोज सिंह की हत्या के मामले में जमशेदपुर कोर्ट ने 15 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है.जिन 15 लोगों को फांसी की सजा दी गई है उन लोगों ने मिलकर एक साथी कैदी मनोज सिंह की हत्या कर दी थी. इस मामले में 22 लोगो को अदालत ने दोषी करार दिया गया था. अब में से 15 लोगों को फांसी की सजा सुना दी गई है.
क्या था पूरा मामला
ये हत्या जेल मे होने वाली गुटों की लड़ाई का परिणाम था. दरअसल 25 जून 2019 को जेल में फोन पर बात करने को लेकर दो गुटों के बीच लड़ाई हो गई. अखिलेश सिंह गुट के हरीश सिंह और एक सजायाफ्ता कैदी पंकज दूबे के बीच विवाद हो गया. विवाद में हरीश सिंह गुट के सदस्य मनोज सिंह, सुमित सिंह, अविनाश सिंह और कुछ अन्य कैदियों ने पंकज दूबे की पिटाई कर दी. इसके विरोध में जेल मे बंद कैदियो ने हंगामा शुरु कर दिया और हरीश सिंह गुट के लोगों पर हमला कर दिया .लड़ाई के दौरान जब हमलावर मनोज सिंह के पीछ भागे तो मनोज सिंह भागकर जेल के एक कमरे की छत पर छुप गया.उसका पीछा करते हुए 15 कैदी और चार सिपाही उसके कमरे में पहुंच गये और इतना पीटा कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही मनोज सिंह की मौत हो गई.
7 अगस्त 2022 को जमशेदपुर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने इस मामले में 22 आरोपियो को दोषी करार दिया. और 18 अगस्त को इन दोषियो को सजा सुना दी गई. मामले को संगीन अपराध मानते हुए अदालत ने कुल 15 सज़ायाफ्ता कैदियों को फांसी की सजा दी है.जिन लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है उनके नाम हैं-रामराय सुरीन, शरद गोप, पिंकी पूर्ति,संजय दिग्धी,अजय मल्लाह, वासुदेव महतो, गोपाल तिरिया,अरुप कुमार बोस, गंगा खंडैत,श्यामू जोजो,शिवशंकर पासवान,पंचानन पात्रो.
इसके अलावा सात लोगों को 10 -10 साल की सजा सुनाई गई है.