प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामी गंगे के तहत चलाये जा रहा अभियान में लगातार भ्रष्टाचार की खबरें आ रही है.उत्तर प्रदेश के मंत्री जलशक्ति मंत्री दिनेश खटीक की चिट्ठी ने इस परियोजना के नाम पर चले रहे भ्रष्टाचार को एक बार फिर से लाइम लाइट में ला दिया है .परियोजना में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को उजागर करते हुए आज बीजेपी नेता वरुण गांधी ने एक ट्वीट किया है और सवाल पूछा है.
“ गंगा हमारे लिए सिर्फ नदी नहीं ‘मां’ है,देशवासियो के जीवन के धर्म और अस्तित्व का आधार है मां गंगा.इसलिए नमामी गंगे पर 20,000 करोड़ का बजट बना,11 हजार करोड़ खर्च के बावजूद प्रदूषण क्यों है? गंगा जो जीवनदायिनी है फिर गंदे पानी के कारण मछलियों की मौत क्यों हो? जवाबदेही किसकी ?
वरुण गांधी ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो शेयर किया है जिसमें नदी के किनारे कुछ मछलियां मरी हुई दिखाई दे रही है .इस ट्वीट में वरुण गांधी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(NGT) की एक खबर भी लगाई है जिसमें सरकार से पूछ गया है कि
‘पचास फीसदी गंदा पानी अब भी गंगा में छोड़ा जा रहा है,एनजीटी ने राष्ट्रीय गंगा मिशन से मांगी रिपोर्ट’.
ट्वीट में ये खबर भी लगाई गई है कि NGT के चेयरमैन जस्टिस आदेश कुमार गोयल ने राष्ट्रीय गंगा परिषद से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.उन्होंने कहा कि गंगा में पानी की गुणवत्ता मानडंदों के अनुसार होनी चाहिये
दरअसल नमामी गंगे प्रजेक्ट के तहत देश भर में अभियान चलाया शुरु किया गया कि नही किनारे बसे शहरों के गंदे पानी को नदियों में गिराने की जगह बेहतर शीवेज सिस्टम बनाकर उसाक निराकरण किया जाये. शहर की विषाक्त गंदगी नदियो के पानी में ना जाने दिया जाये. अभियान के नाम पर शुरु में में तेजी से काम होतचा दिखा लेकिन धीरे धीरे ये गति मंद होती चली गई. आज लगभग हर परियोजना आधी अधूरी पड़ी है. हजारों करोड़ का खर्च हो चुका है लेकिन गंगा नदी का जल आज भी प्रदूषित है. वरुण गांधी ने अपने इस ट्वीट के माध्यम से पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रखने की कोशिश की है. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के नाम पर शुरु की गई योजना को कोई बेहतर स्वरुप मिलेगा प्रधानमंत्री मंत्रालय योजना के लिए तय किये गये अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगें
वरुण गांधी:
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) July 26, 2022
गंगा हमारे लिए सिर्फ नदी नहीं मां है.देशवासियों के जीवन,धर्म और अस्तित्व का आधार है मां गंगा.
इसलिए नमामि गंगे पर 20,000 करोड़ का बजट बना,11हजार करोड़ खर्च के बावजूद प्रदूषण क्यों?
गंगा तो जीवनदायिनी है फिर गंदे पानी के कारण मछलियों की मौत क्यों,जवाबदेही किसकी? pic.twitter.com/sOFIednCmf