Prashant Kishore M-PLAN : बिहार में पिछले लगभग 15 महीनों से पद यात्रा कर अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे प्रशांत किशोर आने वाले 2 अक्टूबर को आधिकारिक रुप से राजनीतिक पार्टी लांच करने जा रहे हैं. अपनी पार्टी जनसुराज को आधिकारिक रुप से राजनीतिक जामा पहनाने के लिए पीके ने खास प्लानिंग की है. जिसके तहत कहा पार्टी में 25 लोगों की कोर कमिटी में कम से कम 4 से 5 लोग मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे. पीके ने घोषणा की है कि पूरे बिहार से कम से कम एक करोड़ लोगों के समर्थन के साथ अपनी राजनीतिक पार्टी लांच करने जा रहे हैं
Prashant Kishore M-PLAN : 2025 में कम से कम होंगे 40 मुस्लिम उम्मीदवार
आगामी विधानसभा चुनाव में पीके ने बिहार में अपनी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले कम से कम 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने की बात कही है. राजनीति के जानकारों की माने तो पीके का ये कदम बिहार में सीधे सीधे राजद के M-Y समीकऱण (मुस्लिम-यादव) को बिगाड़ने की सोची समझी चाल है. पीके की नजर आरजेडी के मुस्लिम वोट बैंक पर है.
7 हजार लोगों की उपस्थिति में पीके ने की घोषणा
राजनीतिक पार्टी को आधिकारिक रुप से लांच करने की घोषणा प्रशांत किशोर ने रविवार को पटना का बापू सभागार में किया.इस कार्यक्रम में करीब 7 हजार लोग मुस्लिम समुदाय हिस्सा लेने आये. इस कार्यक्रम को मुस्लिम समुदाय के बीच पीके की शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है.
पार्टी में होंगे 18 लाख मुस्लिम सदस्य
पीके ने बापू सभागार में कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनकी पार्टी में 18 लाख मुस्लिम सदस्य होंगे.
बिहार में यादव और मुस्लिम वोट बैंक ही था जिसके समर्थन से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का शासन 1990 से 2005 तक 15 साल तक चला.प्रशांत किशोर ने बिहार में 2 अक्टूबर 2022 से अपने जनसुराज अभियान की शुरुआत की थी,जो अब तक निरंतर जारी है.
बिहार में मुस्लिम वोट का महत्व
जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर अपनी पद यात्रा के दौरान लगातार ये कहते रहे है कि शासन में आबादी के आधार पर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये. जब वो अपने पार्टी लांच करेंगे तो आबादी के आधार पर प्रतिनिधित्व देंगे. बिहार की कुल आबादी में मुस्लिम वोटरो की संख्या करीब 18 लाख है.
लोगों से बातचीत के दौरान, पीके बार-बार कहते रहे हैं कि जब वह अपनी पार्टी लॉन्च करेंगे, तो उसमें लोगों का प्रतिनिधित्व उनकी आबादी और हालिया जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर होगा. बिहार जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 के अनुसार, राज्य में मुस्लिम आबादी 18% है.
पीके ने बापू सभागर में कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय में शिक्षा की कमी का मुद्दा उठाया. साथ ही बीजेपी और रकेंद्र सरकार की सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दे को लेकर कहा कि ये कानून किस तरह से मुसलमों के खिलाफ है.
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005-2012 के बीच मुस्लिम समुदाय के हित के लिए कैसे काम किया, लेकिन 2017 में जब उन्होंने आरजेडी से नाता तोड़कर बीजेपी से गठबंधन किया तो किस तरह मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा किया.
सीएम नीतीश कुमार पर धोखा करने का लगाया आरोप
पीके ने कहा कि बिहार में मुस्लिमों की आबादी के हिसाब से कम से कम 1650 मुखिया और सरपंच होने चाहिए थे, लेकिन मौजूदा समय मे ये आंकड़ा केवल 1200 है.बिहार में मौजूदा समय में 27500 सदस्यों के मुकाबले में केवल 11000 वार्ड सदस्य हैं.