प्रयागराज: अपराधी से राजनेता बने माफिया अतीक अहमद का पूरा परिवार इस वक्त यूपी पुलिस के कब्जे में है. भाई, बेटे, बहन- बहनोई सभी अपराध में लिप्त थे. उमेश पाल हत्याकांड में आज फिर माफिया अतीक अहमद को प्रयागराज लाया जा रहा है. पुलिस उसे कस्टडी में लेकर पूछताछ करेगी. उन कड़ी को कड़ियों से जोड़कर हत्याकांड का पूरा राज फास करना चाहती है जो अभी भी राज है. सुरक्षा कारणों से अतीक की पेशी अभिरक्षा और उसे कहां रखा जाएगा यह बातें गोपनीय है. इसके बावजूद सुरक्षित रखने की तैयारी हो रही है.
माफिया अतीक अहमद को B वारंट के जरिए सड़क मार्ग से साबरमती जेल से प्रयागराज लाया जा रहा है. उसे मुख्य दंडाधिकारी के समक्ष पेश करके पुलिस 14 दिन की कस्टडी मांगेगी. ऐसा कानून के जानकार बता रहे हैं.
उमेश पाल हत्याकांड में जांच आगे बढ़ने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि माफिया अतीक उसका भाई अशरफ इस हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार रहे हैं. जांच में फोन कॉल्स के जरिए यह भी जानकारी मिली की अतीक की पत्नी शाइस्ता का भी इसमें मुख्य रोल रहा है। हत्याकांड के बाद शाइस्ता ने अतीक और अशरफ के बचाव में मोर्चा संभाल लिया था, और मीडिया में बयानबाजी कर जबरन फसाए जाने की बात कही थी. अतीक की पत्नी शाइस्ता ने हीं बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश भी की थी.
जैसे ही शाइस्ता को इस हत्याकांड में आरोपी बनाया गया. शाहिस्ता परवीन फरार हो गई. इसी तरह अतीक की बहन मेरठ की रहने वोली अपने भाइयों के बचाव में जगह-जगह दिख रही थी. लेकिन जैसे ही उसके घर का सीसीटीवी सामने आया और उस पर अपराधियों के संरक्षण का आरोप लगा, वह भी गायब हो गई. उसका पति अखलाक पुलिस के चंगुल में फंस गया और हत्याकांड के बाद की कई बातें उजागर हो गई. अखलाक की बेटी और अतीक के बेटे असद के बीच रिश्ते की खबर भी है. सीसीटीवी फुटेज में वह भी अपराधियों की मदद करती दिख रही है. जैसे ही उसे पता लगा कि वह पुलिस के रडार पर है, भांजी भी गायब हो गई.
फिलहाल पिछली दफा अतीक और अशरफ के प्रयागराज पेशी के दौरान उनके रिश्तेदार और अधिवक्ता साथ रहे. इस बार अतीक के प्रयागराज लाने के दौरान अधिकतर गायब हैं. पुलिस अतीक और अशरफ को कस्टडी में लेकर अपराध के पूरे साम्राज्य का पता लगाकर इसे खत्म करने का प्रयास कर रही है. ऐसा पुलिस सूत्रों का कहना है.
माफिया अतीक और अशरफ को प्रयागराज लाने के दौरान केंद्रीय कारागार नैनी में रखने की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए अलग से विशेष बैरक मैं तैयारी हो रही है. बॉडी वार्न कैमरे के जरिए उस पर निगरानी के साथ सीसीटीवी भी इस विशेष क्षेत्र में लगा होगा, जिसकी मॉनिटरिंग लखनऊ से भी की जा सकती है.
कानून के जानकारों का कहना है कि बिना मुख्य दंडाधिकारी से पुलिस कस्टडी की अनुमति लिए बिना पुलिस जेल के अलावा कहीं नहीं रख सकती. अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम आशुतोष ने बताया कि अगर इस तरह से कैदी को कहीं रखना होता है. तो उस स्थान को विशेष जेल का नोटिफिकेशन करना पड़ता है. अब ऐसे में अतीक का मेडिकल चेकअप अमदाबाद जेल के बाद फिर प्रयागराज में होगा और उसे मुख्य दंडाधिकारी के सामने पेश करने के बाद ही पुलिस कस्टडी में दिया जा सकता है. इसके बाद पुलिस पर यह निर्भर करता है कि वह उसे कहां रखती है किन-किन स्थानों पर ले जाकर अपराध का पूरा पता लगाती है.
अतीक के साथ अशरफ को भी प्रयागराज लाने से यह साफ हो गया है कि दोनों के बयान अलग-अलग लेने के बाद पुलिस दोनों को आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ करेगी.
सुरक्षा और गोपनीयता को बनाए रखने के लिए कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा इस दल में शामिल ज्यादातर लोगों के फोन ले लिए गए हैं. साथ ही उनको यह पता भी नहीं लगता कि किस कैदी को लाया जा रहा है. एक संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि सुरक्षा कारणों से अतीक को जिला सत्र न्यायालय ना लाया जाए, बल्कि किसी विशेष स्थान पर विशेष कोर्ट बैठकर पुलिस कस्टडी पर निर्णय कोर्ट ले सकती है. या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी प्रस्तुत कर सकती है. क्योंकि स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा हो गई है. जिलाधिकारी कार्यालय जो सत्र न्यायालय के बगल में है. नामांकन स्थल बन चुका है. ऐसे में कानून के दायरे में अतीक और अशरफ की पेशी में बदलाव किया जा सकता है.