देश में इन दिनों कुत्तों का खौफ लगातार बढ़ता जा रहा है. जिन कुत्तों को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता था. अब वही कुत्ते इंसानों के खून के प्यासे हो गए हैं. ऐसा ही एक वाकया सामने आया नोएडा में जहां एक 7 माह के मासूम बच्चे को कुछ आवारा कुत्तों ने नोच खाया . जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
7 माह का मासूम बच्चा जिसने चलना भी नहीं सीखा था. उसे आवारा कुत्तों ने नोच डाला . खबर से पूरे दिल्ली एनसीआर और देश में हड़कंप मचा है. ये रूह कंपा देने वाली घटना नोएडा के थाना सेक्टर 39 के लोटस ब्लू बर्ड सोसाइटी की है जहाँ बच्चे के माता-पिता मजदूरी का काम कर रहे थे. मां ने बच्चे को जमीन पर कपड़ा बिछा कर सुलाकर रखा था, वो बेफिक्र होकर अपने काम में व्यस्त थी लेकिन उसे क्या पता था कि उसका लाल एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन तीन आवारा कुत्तों की भेंट चढ़ जाएगा. जब वो सो रहा था तभी स्ट्रीट डॉग के झुण्ड ने बच्चे पर हमला कर दिया और उसे नोच खाया . घटना के बाद मासूम को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन दुर्भाग्यवश उसे बचाया नहीं जा सका.
बता दें कि नोएडा और गाजियाबाद में पिछले कुछ दिनों में कुत्तों के हमले लगातार बढ़ रहे थे जिसको लेकर नगर निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास किया गया कि पिटबुल, रोटविलर जैसे खतरनाक कुत्तों को पूर्ण तरीके से नगर निगम द्वारा प्रतिबंध किया जाएगा. इससे पहले 8 सितंबर को राज नगर के सेक्टर 23 इलाके में एक पिटबुल कुत्ते ने 10 साल के बच्चे पर हमला किया था बच्चे के मुंह पर डेढ़ सौ से अधिक टांके आए थे. कुत्ता मालिक पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था.
इससे पहले नोएडा स्थित राजनगर एक्सटेंशन की चार्म्स कैसल सोसायटी की लिफ्ट में एक बीगल डॉग ने मासूम बच्चे पर हमला कर दिया था. घटना में बच्चे को चोट आई थी. इसके बाद डॉग की अड़ियल मालकिन का भी वीडियो तेजी से वायरल हुआ था.
वहीं, लखनऊ के पिटबुल डॉग अटैक को भी नहीं भुलाया जा सकता है. जिसके हमले में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई थी. यहां एक पालतू पिटबुल डॉग ब्राउनी ने अपनी मालकिन पर हमला कर दिया था. सिर्फ हमला ही नहीं बल्कि अपनी मालकिन को नोंच-नोंच कर मार डाला था. जिसके बाद 14 जुलाई को नगर निगम की टीम ने डॉग को एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर अस्पताल भेज दिया था.
लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि इतना सब होने के बाद भी प्रशासन सिर्फ कानून बनाने के आलावा कुछ नहीं करता. यहाँ इस बच्चे की मौत के पीछे कहीं न कहीं प्रशासन की लापरवाही है . सड़क पर घूमते आवारा कुत्तों को नियंत्रण में रखना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है जिसे निभाने में यहाँ नोएडा प्रशासन लगातार विफल हो रहा है. जिसका खामियाज़ा एक मासूम बच्चे को अपनी जान देकर और एक माँ को अपना लाल अपना जिगर का टुकड़ा गवा कर चुकानी पड़ी .
इस तरह की घटनाएं सिर्फ ग़ज़िआबाद या नोएडा ही नहीं बल्कि कानपुर , मुंबई जैसे बड़े शहरों से लगातार सामने आरही है .
गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारी ने साफ तौर पर बताया कि अब एक घर में एक से ज्यादा कुत्ते नहीं रख पाएंगे. जिनके पास कुत्ते हैं पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा और उसके बाद घर के हिसाब से कुत्तों को रखने की परमिशन दी जाएगी. लेकिन यहाँ मुद्दा सिर्फ पालतू जानवरों का नहीं है माना पालतू जानवरों के लिए प्रशासन उनके मालिकों को दंड देगा लेकिन जो आवारा पशु हैं उनकी ज़िम्मेदारी किसकी है . आखिर कब कुत्तों का आतंक खत्म होगा.कब प्रशासन ज़िम्मेदारी से अपना कर्त्तव्य निभाएगा.