2014 में देश की सबसे पुरानी और बड़ी राजनितिक पार्टी के हारने की वजह और बीजेपी के आने की वजह सिर्फ एक ही थी भ्रष्टाचार. बस फर्क इतना था एक ओर जहाँ देश की जनता कांग्रेस काल में हुए भ्रष्टाचार से बेहाल थी. वहीँ दूसरी तरफ बीजेपी के बड़े बड़े वादों ने और भरष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के वादे उन्हें जीता दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कहा था ना खाऊंगा न खाने दूंगा.
अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कदम भी उठाये गए फिर वो चाहे 500 1000 के नोट बंद करने को लेकर हो या फिर ED के ज़रिये बड़े बड़े नेताओं के घर पर छापामारी कार्रवई. वैसे अगर देखा जाए तो ED यानी की प्रवर्तन निदेशालय को हर सरकार ने एक टूल किट की तरह इस्तेमाल किया है. बात चाहे कांग्रेस काल की हो या फिर वर्त्तमान में BJP के शासन की.
आकड़ों की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 8 साल में प्रवर्तन निदेशालय ने 1 लाख करोड़ रुपए की काली कमाई जब्त की है. BJP शासन में ED की देशभर भ्रष्ट नेताओं पर केहर बनकर टूट रही है. तभी तो धुंआधार छापामार कार्रवाइयों को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल उंगुली उठाते रहे हैं. उठाये भी क्यों ना कांग्रेस के शीर्ष नेता से लेकर राज्यों में बाहुबली कहलाये जाने वाले विपक्षी नेताओं पर एक्शन जो लिया जा रहा है. हां वो बात अलग है की ये कार्रवाई मुख्यतौर पर सिर्फ उनपर हो रही हैं.
जो या तो विपक्ष में है या BJP के खिलाफ. लेकिन ये काम तो हर बार हुआ जी हाँ ये बात खुद BJP नेता ने बताई है.
काफी वक्त से बीजेपी पर आरोप लगते रहे हैं कि ED ने देश में आतंक मचा रखा है. इस पर भाजपा भी मानती है कि ED ने सचमुच आतंक मचा रखा है. लेकिन भाजपा इस आतंक से खुश है.
दरअसल उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कमलेश ने एक वीडियो tweet किया है. इसमें बताया गया कि विपक्ष क्यों ED के नाम से डरता है. इसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान कोट करते हुए कहा गया कि ED ने देश में आतंक तो मचा रखा है. इस पर उन्होंने लिखा कि आंतक तो है…लुटेरों के बीच, आतंक तो है-चोरों के बीच. वैसे आपको बता दें ED ने मनमोहन सरकार के 9 साल के कार्यकाल में 4000 करोड़ की संपत्ति जब्त की. जबकि मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में 1 लाख करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली. मनमोहन सरकार के 9 साल में सिर्फ 112 छापे मारे, जबकि मोदी सरकार के 8 साल में 2974 छापे मारे. मनमोहन सरकार के 9 साल में 1867 केस दर्ज किए. जबकि मोदी सरकार के 8 साल में 3555 केस दर्ज किए. इतना ही नहीं, सिर्फ 4 महीने में 785 नए केस दर्ज कर दिए. बात तो सच है, क्योंकि देश में पहली बार बड़े-बड़े नेताओं से पूछताछ हो रही है. राहुल गांधी से कई दिन पूछताछ हुई. सोनिया गांधी से पहली बार पूछताछ हुई. रॉबर्ट वाड्रा से 11 बार पूछताछ हुई. मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ हुई. पवन कुमार बंसल से पूछताछ हुई. इसलिए कोर्ट में ED के खिलाफ एक-दो नहीं, पूरी 242 याचिकाएं दायर हो गईं. मगर देश की सबसे बड़ी अदालत ED के साथ है.
इस बीच ताज़ा मामला है पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से बरामद हुए करोड़ों रूपए. इस कार्रवाई के चलते अब ममता सरकार भी संकट से घिर चुकी है हैं. पार्थ की गिरफ्तारी के 5 दिन बाद ममता ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया. मामले को लेकर पश्चिम बंगाल में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे है. BJP ने ममता कि सरकार को चरों तरफ से घेर लिया है. तो यहाँ भी विपक्ष के खिलाफ मोदी सरकार ने ED का बखूबी इस्तेमाल किया है.लेकिन अगर सच में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो ED और CBI जैसे सरकारी एजेंसियों को बदले की भावना या फिर हथियार की तरह तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. सिर्फ विपक्षी नहीं बल्कि सत्ताधारी नेताओं की भी जांच होनी चाहिए. क्योंकि जरुरी नहीं भ्रष्टाचारी विपक्ष में ही हो .