बिहार के पश्चिमी चंपारण के वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के पास बगहा गांव में आखिरकार आतंक का पर्याय बन चुके बाघ T-105 का अंत कर दिया गया. शनिवार को एक खास ऑपरेशन के तहत आदमखोर बन चुके बाघ को मौत के घाट उतार दिया गया.
इस बाघ ने पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में अब तक 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.इस बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने खास तरीके से तैयारी की औऱ बाघ को जंगल के बाहर खेत में घेर कर मौत के घाट उतारा गया. दरअसल वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में शनिवार को आदमखोर बाघ ने एक बार फिर से दो लोगों को अपना शिकार बनाया था. यहां लगातार तीसरे दिन आदमखोर बाघ ने एक महिला और उसकी 7 वर्षीय बेटी पर हमला कर उनकी जान ले ली. ग्रामीणों को दोनों का शव मिला था.ये बाघ लगातार कई दिनों से लोगों पर हमले कर रहा था. 11 लोगों की मौत के बाद इस बाघ को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी हुआ था. एसटीएफ के साथ वन विभाग की 400 से ज्यादा लोगों की टीम पिछले कई दिनों से इस बाघ की तलाश कर रही थी लेकिन बाघ को तलाश पाने में टीम को शनिवार सुबह तक सफलता नहीं मिली. आखिरकार शनिवार सुबह करीब 7 घंटे का ऑपरेशन चला और फिर बाघ को मारने में सफलता मिली.
11 लोगों की जान लेने वाले बाघ के लिए शूट एट साइट का आदेश
इस आदमखोर बाघ को मारने का काम आसान नहीं था. प्रशासन ने पहले इस बाघ को जिंदा पकड़ने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली थी. फिर एक के बाद एक 11 लोगों की मौत के बाद प्रशासन की तऱफ से इसके लिए मौत का फरमान जारी किया गया.
कैसे मारा गया आदमखोर बाघ
इस बाघ को काबू करने के लिए शार्प शूटर और नेपाल से विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई.बाघ को पहले ट्रैंकुलाइज करके जिंदा पकड़ने की कोशिश की गई. जिंदा पकड़ने में कोशिश नाकाम होने के बाद हैदराबाद से शार्पशूटर सफाकत अली को इसे मारने का आदेश दिया गया.हथियारों और टॉर्च से लैश 400 लोगों का दस्ता आदमखोर को दिन रात ढूंढ़ता रहा.आखिरकार खेतों मे उसका सुराग मिला और फिर घेर कर उसे मारा गया.
बाघ कैसे हो जाते हैं आदमखोर
बिहार में इस तरह का मामला पहली बार सामने आया है लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में अक्सर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. सवाल उठता है कि कोई बाघ आखिर कैसे हो जाता है आदमखोर ? ऐसे बाघों को जिंदा क्यों नहीं पकड़ा जाता है? इसके बारे में मशहूर शिकारी जॉय हुकिल कहते हैं कि सभी बाघ आदमखोर नहीं होते हैं .ज्यादातर मामलों मे देखा गया है कि बूढे और बीमार बाघ इंसानो को अपना शिकार बनाते हैं. अक्सर जिन बाघों के दांत और नाखून कमजोर हो जाते हैं वो आसान शिकार की तलाश करते हैं लेकिन ये भी हमेशा सच नहीं होता है. कई बार युवा बाघ भी आदमखोर होते हैं. दरअसल इंसान और जानवर के खून में एक फर्क होता है. इंसान नमक खाता है इसलिए इंसान के खून का स्वाद अलग होता है. अगर एक बार बाघ को इंसान के खून का स्वाद लग जाता है तो वो नये स्वाद की तलाश में इंसानों को ढ़ूंढने लगता है औऱ उनका शिकार करता है. ये सब बाघों की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है.
कभी बाघ सामने आ जाये तो कैसे बच सकते हैं
शिकारियो के जीवन मे कई बार ऐसी स्थिति आती है. शिकारी जॉय हुकिल ने बताया कि अगर कभी ऐसी स्थिति आ जाये तो सबस पहले अपने गले को ढंकना चाहिये. बाघ सबसे पहले गले पर हमला करता है .फिर उसके कंघे पकड़कर पैरों से उसे पीछे धकेल कर अपनी जीवन रक्षा की कोशिश करनी चाहिये. कभी कभी शिकार के बीच मे भी बाघों का ध्यान भटक जाता है. ऐसे में तुरंत किसी सुरक्षित जगह की तलाश करनी चाहिये क्योंकि बाघ जिस शिकार को छोड़ कर जाता है वापस उसे ढ़ूंढने जरुर आता है.
बिहार के पश्चिमी चंपारण के बाल्मिकी टाइगर रिजर्व के पास बगहा गांव में आखिरकार आतंक का पर्याय बन चुके बाध T-105 का अंत कर दिया गया. शनिवार को एक खास ऑपरेशन के तहत आदमखोर बन चुके बाघ को मौत के घाट उतार दिया गया.#tiger #Bihar pic.twitter.com/GF2BPNtY8W
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) October 9, 2022