कर्नाटक हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फैसला आयोगा.जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया इस मामले में अपना फैसला सुनायेंगे. सुप्रीम कोर्ट मे ये तय होना है कि कर्नाटक में राज्य सरकार द्वारा लगाया गया हिजाब बैन का फैसला सही था या नहीं. हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में दस दिन तक चली सुनवाई के बाद पीठ ने हिजाब विवाद पर फैसला 22 सितंबर को सुरक्षित रखा था.इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं सुनी गई.अब सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार यानी आज सुबह साढ़े दस बजे फैसला आने की तरीख है.
कर्नाटक में हिजाब बैन देश भर में सांप्रयादिक मुद्दा बना
उत्तर प्रदेश चुनाव के समय कर्नाटक से शुरु हुआ हिजाब बैन का मामला पूरे देश में गर्मागरम बहस का मुद्दा बना. सुप्रीम कोर्ट में भी जब सुनवाई शुरु हुई तो दोनो पक्षों की तरफ से काफी गरमागरम बहस हुई.मुस्लिम छात्रों के संगठन की तरफ से 21 वकीलों ने इस मामले में पैरवी की.
सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि कर्नाटक सरकार का फैसला मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए लिया गया था. हिजाब पहनने से किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होता है. स्कूल में पगड़ी, कड़ा बिंदी पर बैन नही है तो हिजाब पर बैन क्यों लगाया गया ? हिजाब धार्मिक आजादी के अधिकार के दायरे में आता है.सुनवाई के दौरान कोर्ट में एक रिपोर्ट भी पेश की गई जिसके मुताबिक पूरे कर्नाटक में 17 हजार छात्राओं ने परीक्षा नहीं दी या पढ़ाई छोड़ दी.
वहीं कर्नाटक सरकार की तरफ से दलील दी गई कि ये फैसला स्कूलों में समानता और सामाजिक एकता को बनाये रखने के लिए लिया गया फैसला है,इसलिए इसमें कोई खराबी नहीं है. हिजाब आंदोलन के पीछे चरमपंथी संगठन PFI का हाथ था.हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.सरकार ने दलील देते हुए कहा कि मौलिक अधिकारों पर भी वाजिब प्रतिबंध लगाया जा सकता है. हिजाब आंदोलन के समय देखा गया कि जब मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर आई तो हिंदु संगठनों के छात्र भगवा चादर ओढ़ कर आ गये.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किये कई सवाल
दस दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से भी कई सवाल किये.कोर्ट ने पूछा-
–अगर यूनिफॉर्म के रंग के कैप को इजाजत है तो हिजाब को क्यों नहीं?
–हिजाब से समाजिक समानता और एकता को कैसे खतरा है?
–जिन स्कूलों या संस्थानों में यूनिफार्म नहीं है,वहां क्या होगा?
–हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन पश्न ये उठता है कि क्या यह अधिकार उन स्कूलों में भी लागु किया जा सकता है जहां एक निर्धारित यूनिफॉर्म है ?
–क्या ऐसे स्कूलों में छात्राएं हिजाब पहन कर जा सकती हैं जिसमें निर्धारित ड्रेस कोड है?
गुरुवार को इन सभी सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है. दरअसल कर्नाटक में सरकार द्वारा हिजाब पहनकर स्कूलों में आने पर रोक लगने के बाद मुस्लिम छात्राओं का संगठन कर्नाटक हाइकोर्ट पहुंचा था. हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करने के बाद इसी साल 15 मार्च को फैसला दिया था,जिसमें माना था कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया था. फिर यही मुस्लिम छात्राओं का संगठन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.