Sunday, December 22, 2024

लाशों के मसीहा ‘शरीफ चाचा’

आज समाज के नफरत भरे माहौल में जहां लोग धर्म और जाति के नाम पर एक दूसरे को मरने मारने पर उतारु हैं, वहीं आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो समाज की नफरत को प्यार में बदलने का काम कर रहे हैं. ऐसा ही एक नाम है श्री राम की नगरी अयोध्या में रहने वाले 85 साल के मोहम्मद शरीफ का. जिसे अयोध्या जी के लोग प्यार से चाचा बुलाते हैं. मो.शरीफ वो शख्स है जिन्होंने ना केवल भारत की संस्कृति को अपने दिल में संभाल कर रखा बल्कि भारत में हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए मिसाल भी बने हैं .

Ayodhya: Padmashri Mohammed Sharif invited for Bhoomi Pujan
वैसे शरीफ चाचा कोई अनजान नाम नहीं हैं बल्कि पदमश्री विजेता रहे हैं . मोहम्मद शरीफ को यहां लाशों का मसीहा भी कहा जाता है. ये लगभग 28 सालों से सरयू तट पर 25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इसके लिए मोहम्मद शरीफ को देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया था.
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की नगरी मे रहने वाले चाचा मो. शरीफ श्री राम के आदर्शों पर चलते रहे हैं और समाज के लोगों से अपील करते हैं कि उन्हें भी अपने मां-बाप, बुजुर्गों की इज्ज़त और समाज सेवा करनी चाहिए.अब तक चाचा अपने आप अकेले ही ये काम किया करते थे लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर आने के बाद जब शारीरिक रुप से कमजोर हो गये तो उनके काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा उनके बेटे मोहम्मद सगीर ने उठा लिया है.मो. सगीर का कहना है कि वो भी अपने पिता की राह पर चलते हुए इस नेक काम को आगे बढ़ा रहे हैं, जो भी लावारिस लाश आती है  उसे उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करवाते हैं.

यही तो है भारत की धर्म निरपेक्षता.यही तो है भारत का हिन्दू मुस्लिम भाई चारा . जहाँ एक मुसलमान बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू की मदद करता है.जहाँ दो अलग-अलग धर्म के लोग गले मिलकर ईद और दिवाली साथ साथ मनाते हैं . तो चलिए शरीफ चाचा के व्यक्तित्व से आपको परिचित कराते हैं .
मोहम्मद शरीफ अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले हैं. शरीफ चाचा 28 साल पहले एक साइकिल मिस्त्री थे लेकिन हालात और परिस्थिति कुछ ऐसी बदली की एक साइकिल मकैनिक को लावारिस लाशों का मसीहा बना दिया. उन्‍होंने कभी जाति और धर्म के बंधन को नहीं माना. सभी लावारिस लाशों का उनके धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार किया.

UP: Ayodhya's Sharif Chacha who performed last rites of 25,000 unclaimed bodies finally receives Padma Shri | India News

लेकिन ऐसा क्या हुआ कि एक साधारण साइकिल मैकेनिक लाशों का मसीहा बन गया? इसके पीछे भी एक बेहद दर्दनाक कहानी है .

Ayodhya Ram Mandir: बुजुर्ग शरीफ चचा की इच्छा, अयोध्या में पीएम मोदी से हो मुलाकात - Ayodhya Ram Mandir PadamShree Awardee Sharif Chacha wants to Meet PM Narendra Modi in Ayodhya
लगभग 29 साल पहले सुल्तानपुर में शरीफ चाचा के बेटे की हत्या हो गई थी और वहां पर किसी ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया और लावारिस समझ कर उसको नदी में प्रवाहित कर दिया था. तभी से शरीफ चाचा ने कसम खाई थी कि अयोध्या और फैजाबाद में कोई भी लाश लावारिस नहीं जाएगी . चाहे हिंदू हो या मुसलमान, सबका अंतिम संस्कार विधि विधान से करेंगे और तब से अब तक शरीफ चाचा 25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं.

मोहम्मद शरीफ के चार बेटे थे. एक बेटे मोहम्मद रईस को सुलतानपुर में खो चुके हैं. जबकि दूसरे बेटे नियाज की हर्ट अटैक से मौत हो गई थी. अब शरीफ चाचा के 2 बेटे ही उनका सहारा हैं. मोहम्मद शगीर स्कूल की गाड़ी चला कर अपना परिवार चला रहे हैं, तो मोहम्मद जमील अपने पिता के साथ रहते हैं. शरीफ चाचा के खराब स्‍वास्‍थ्‍य की वजह से अब उनके बेटे आम लोगों से मिलने वाली आर्थिक मदद से इस महान सामाजिक सेवा को आगे बढ़ा रहे हैं.

President gave Padma Shri award to Sharif chacha of Ayodhya who called Messiah of unclaimed corpses | लावारिस लाशों के 'मसीहा' कहे जाने वाले अयोध्या के शरीफ चाचा को राष्ट्रपति ने दिया

इसी महान काम के चलते 2021 में शरीफ चाचा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से नवाजा था. जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों ने उनकी तारीफ की और कहा कि ऐसा काम अभी तक किसी ने नहीं किया.

सच में ऐसे ही लोगों की वजह से ही तो समाज बचा हुआ है .अगर हर शख्स में शरीफ चाचा  जैसे नरम दिल और समाज सेवा की भावना पैदा हो जाए तो ये समाज अपने आप ही सुधर जाएगा.

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