Thursday, October 10, 2024

कुतुबमीनार से भी उंचा ट्विन टावर महज 9 सेकेंड में हुआ जमींदोज

नोयडा के सेक्टर 93 A में 103 मीटर और 97 मीटर उंची दो इमारतों ट्विन टावर को खास वाटरफॉल इम्प्लोजन तकनीक के जरिये रविवार की दोपहर में गिरा दिया गया. तकरीबन 13 साल से बन रही ये इमारत महज 9-12 सेकेंड में ढहा दी गई. इमारत को गिराने के लिए तकरीबन 3700 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. इमारत को गिराने के समय मौके पर पुलिस बल के साथ साथ एनडीआरएफ,एबुलेंस,फायर ब्रिगेड की टीमें लगाई गई थी.वहीं वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पानी के टैंकर्स भी लगाये गये.
हिंदुस्तान के रियल स्टेट के इतिहास में ये पहला मौका है जब एक विशाल इमारत को जमींदोज करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट से आया.सवाल ये कि इतना वक्त और पैसा लगाने के बावजूद इसे गिराने की जरुरत क्यों पड़ी?
नोयडा यानी गौतमबुद्ध नगर उत्तर प्रदेश का अंतराष्ट्रीय चेहरे वाले शहर है. चकाचौंध से भरे इस शहर को चमकीला बनाने में बिल्डरों का बड़ा योगदान है. इस शहर ने देश भर से रोजगार के लिए आये लोगों को आशियाना मुहैय्या कराया है,लेकिन इसी आशियाने की चाह ने यहां के बिल्डरों और नोयडा अथोरिटी के सामने उस विशाल कुंए का मुंह खोल कर रख दिया जहां सिर्फ पैसा ही पैसा है.
पूरे नोयडा और ग्रेटर नोयडा में सैकड़ों बिल्डर निर्माण काम कर रहे है, पिछले लगभग डेढ दशक से दिल्ली के सटे नोयडा में लाखों की संख्या में फ्लैट्स बने हैं. नोयडा में मिल रहे अवसर ने रियल इस्टेट की दुनिया में धूम मचा कर रखा दिया. अपने आशियाने की चाह में लोगों ने अपने जीवन की सारी गाढ़ी कमाई एक अदद मकान के लिए इन बिल्डरों के नाम कर दिया, और बिल्डर्स ने पैसा बनाने के के लिए सभी उल्टे सीधे रास्तों का सहारा लिया. इसी का एक बड़ा उदाहरण बना – सुपरटेक बिल्डर्स का एमरल्ड कोर्ट ट्वीन टावर नाम का ये प्रोजेक्ट. सुपरटेक बिल्डर्स ने नोयडा अथोरिटी से हाउसिंग सोसायटी के लिए जमीन खरीदी. कई प्रोजेक्ट शुरु किये, जिसके लिए बाकायदा अथोरिटी से नक्शे पास कराये गये.इन्ही प्रोजेक्ट्स के बीच एक जमीन ग्रीन बेल्ट के तौर पर दी गई थी ,लेकिन बिल्डर ने अथोरिटी से मिलीभगत कर ग्रीनबेल्ट पर भी इमारत का निर्माण शुरु कर दिया ,वो भी एक प्राइम प्रोजेक्ट के तौर पर. इस प्रोजेक्ट में एक बिल्डिंग में 915 फ्लैट बनाये गये थे, जिनमें से 633 की बुकिंग हो गई थी, और इससे बिल्डर ने 180 करोड़ रुपये जमा किये था.यहां 2 बेडरुम हॉल से कर 4 बेडरुम हॉल तक के फ्लैट बने थे. इसमें के एक एक फ्लैट की कीमत 1 करोड़ से उपर रखी गई थी.
नियमों को ताक पर रख कर बनी गई इस गगन चुंबी इमारत में नोयडा विकास प्रधिकरण के अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत की बात कोर्ट में साबित हुई. लोगों की शिकायत पर सितंबर 2021 में एक चार सदस्यों की टीम बनाई गई जिसकी जांच में नोयडा अथोरिटी के 26 अधिकारियों , सुपरटेक कंपनी के निदेशक और आर्किटेक्ट को दोषी पाया गया और उनके खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिये गये.
जांच में अथोरिटी के जिन अधिकारियों को दोषी पाया गया उनमें पूर्व सीइओ(रि) मोहिंदर सिंह, एस के द्विवेदी(रि), आर पी अरोड़ा(रि),यशपाल सिंह(रि) समेत 29 अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. इसके अलावा सुपरटेक बिल्डर्स के चार निदेशक आर के अरोड़ा, संगीता अरोड़ा, अनिल शर्मा और विकास कंसल के खिलाफ FIR दर्ज की गई.
नियमों को ताक पर रख कर बनाई जा रही बल्डिंग के खिलाफ आस पास के सोसायटी के बायर्स ने करीब 11 साल लंबी लड़ाई लड़ी.चंदा करके केस लड़ा. इलाहाबाद हाइकोर्ट से लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने नोयडा अथोरिटी में व्याप्त भ्रष्टाचार पर टिपप्णी करते हुए सुपरटेक बिल्डर को ग्राहकों का पूरा पैसा वापस करने का आदेश दिया.
भ्रष्ट्राचार के प्रति जीरो टालरेंस की उत्तर प्रदेश सरकार की नीति और सुप्रीम कोर्ट के कड़े आदेश के बाद आखिरकार नोयडा होम बायर्स को लंबी लड़ाई मे जीत मिली है. सरकार और कोर्ट के फैसले ने नोयडा के एनसीआर के उन होम बायर्स की उम्मीद को हौसला दिया है जो पिछले 10-12 सालों से अपनी जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई बिल्डरों को सौंप कर अपने आशियाने की आस लगाये बैठे है लेकिन भ्रष्ट नोयडा अथोरिटी और बिल्डरों की सांठगाठ के कारण हाउसिंग प्रोजेक्ट आधे अधूरे पड़े हैं, और बायर्स बस इंतजार कर रहे हैं.

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