Sunday, December 22, 2024

Patanjali Ayurveda: बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, एलोपैथिक दवाइयों के खिलाफ भ्रामक प्रचार करने पर लगाई फटकार

पतंजलि :सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद Patanjali Ayurveda को 21 नवम्बर (मंगलवार) को कड़ी फटकार लगाई. पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों और एलोपैथिक दवाइयों के खिलाफ प्रचार को लेकर कोर्ट ने कंपनी को आड़े हाथों लिया. उच्चतम न्यायालय ने योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में ”झूठे” और ”भ्रामक” दावे करने के प्रति आगाह भी किया.

Patanjali Ayurved पर करोड़ो का लग सकता है जुर्माना

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पतंजलि को चेतावनी दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनके प्रॉडक्ट को लेकर इसी तरह के भ्रामक विज्ञापनों का प्रसारण जारी रहेगा तो उन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है. कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को भविष्य में इस तरह के भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने से बचने की सलाह दी. कोर्ट ने कहा कि उनके प्रोडक्ट की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार से लोग गुमराह हो रहें हैं. पतंजलि के कई प्रोडक्ट कई तरह की गम्भीर बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं. बाबा रामदेव के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं और वैक्सीनेशन के विज्ञापनों के खिलाफ दिखाया गया है. IMA ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है. ये ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेडेमीड एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों के खिलाफ है.

बाबा रामदेव की बढ़ सकती है मुसीबत

कोविड संकट काल में पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों और उसके स्वामी बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव पर अभियान का आरोप लगाने वाली आईएमए की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय तथा पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी किया था. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह चिकित्सा की आधुनिक पद्धतियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित न करें. न्यायालय ने कहा कि यदि यह गलत दावा किया जाता है कि किसी विशेष बीमारी को ठीक किया जा सकता है तो पीठ प्रत्येक उत्पाद पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 5 फ़रवरी को होगी.

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