Thursday, September 19, 2024

Chandrayaan-4 Mission :चंदा मामा अब नही रहेंगे दूर के…3 साल में वैज्ञानिक बनायेंगे चांद तक पहुंचने का रास्ता

Chandrayaan-4 Mission :  बुधवार को कैबनेट की बैठक में कई बड़े फैसले लिये गये जिसमें एक फैसला ये रहा कि सरकार ने इसरो के चंद्रायन-4 मिशन के विस्तार को मंजूरी दे दी है. मोदी सरकार का ये फैसला बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिये भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक उन संभवानाओं को धरातल पर उतारने का  प्रयास करेंगे, जिसमें लोगों को चंद्रमा तक ले जाना और सुरक्षित वापस लाने के लिए प्रौद्योगिकी शामिल है.

Chandrayaan-4 Mission के जरिये पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित होगा

कैबिनेट की बैठक में लिये गये फैसलों के बारे में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट ने शुक्र ग्रह की कक्षा से संबंधित मिशन गगनयान और चंद्रयान-4  के विस्तार को मंजूरी दे दी है.अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने भारी वजन ले जाने में सक्षम अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान को भी मंजूरी दी है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित करेगा.

 चंद्रयान 4 के जरिय चंद्रमा के चट्टान और मिट्टी धरती पर लाये जायेंगे

कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.इस बैठक में  चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी मिली. इस मिशन के अंतर्गत इसरो की योजना भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर लेकर जाने और उन्हें सुरक्षित वापस पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को विकसित करना है. चंद्रयान-4 मिशन के दौरान भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिको की योजना चंद्रमा की सतह पर मौजूद चट्टानों और मिट्टी को पृथ्वी पर लाने की है, ताकि उसका विस्तार से अध्ययन किया जा सके.

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कैबिनेट की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन वर्ष 2040  तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाने और फिर उन्हें वहा से  सुरक्षित वापस धरती पर लाने के लिए जरुरी मूलभूत प्रौद्योगिकियों को विकसित करेगा. इस बयान मे कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन के तहत डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्रमा की सतह पर मैजूद सेंपल्स को इकट्ठा करके उसका विश्लेषण करन के लिए जरुरी प्रौद्योगिकियां विकासित करेगा.चंद्रयान-4 मिशन पर के दौरान एक्पेरिमेंट्स के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये के फंड की जरूरत होगी.

सरकार के बयान के मुताबिक इसरो इस अभियान को 36 महीने के भीतर पूरा करेगा. इस मिशन की खास बात ये है मिशन के तहत सभी जरुरी तकनीको और प्रौद्योगिकियों कोअपने देश में ही विकसित किया जायेगा.

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