BJP-NDA Meeting : देश मे जैसे जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है, अब साफ हो गया है कि बीजेपी अकेली बहुमत से फिलहाल दूर है और अगर सरकार बनती भी है तो इसमें गठबंधन का बड़ा रोल होगा. बीजेपी लगभग 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर तो मौजूद है लेकिन सरकार बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े 272 से काफी दूर है. ऐसे में पार्टी ने अभी से अपने सहयोगियों को जुटाने की कवायद शुरु कर दी है.
शुरुआती रुझान आने के साथ ही ये तय होने लगा था कि बीजेपी के 400 पार का दावा हवा हो गया है. यही कारण है कि अपने सहयोगियों के जुटाने लिए बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद शुरु कर दी है. पीएम मोदी ने आज सुबह टीडापी नेता चंद्र बाबू नायडू से फोन पर बात की और आंध्रप्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत पर बढाई दी. आंध्रप्रदेश में लोकसभा की 25 सीटोें हैं जिनमें 16 पर टीडीपी जीत की ओर अग्रसर है.
BJP-NDA Meeting : बुधवार को एनडीए की बैठक
इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली में एनडीए के अपने सहयोगियों की बैठक बुलाई है जिसमें बिहार से नीतीश कुमार के साथ साथ जीतन राम मांझी को भी बुलावा भेजा है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं जिसमें 14 सीटों पर बढ़त के साथ जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी बन रही है. वहीं बीजेपी 12 सीटों पर जीतती नजर आ रही है. 2019 के लोक सभा चुनाव में जहां एनडीए ने 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं इस बार एनडीए 31 सीटों पर सिमटती नजर रही है.
इंडिया गठबंधन के 200 पास के मायने
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सत्तारुढ़ एनडीए की तरफ से लगातार ये कहा जा रहा था कि कांग्रेस को इस बार के लोकसभा चुनाव में पिछली बार से भी कम सीटें मिलेंगी. कहा जा रहा था कि कांग्रेस को इस बार इतनी भी सीटें नहीं मिलेंगी कि उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सके. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस समेत यूपीए को 119 सीटें मिली थी ,वहीं इस बार कांग्रेस गठबंधन को 227 सीटें मिलती नजर आ रही है. अगर रुझान नतीजे में तब्दील होते है तो कांग्रेस के लिए नेता विपक्ष का पद पाना आसान हो जायेगा. ये पद इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष की सरकार के कामकाज में सीधी दखल होती है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश में कहा भी है कि “यह न केवल राजनीतिक हार है, बल्कि प्रधानमंत्री के लिए नैतिक हार भी है”
मजबूत विपक्ष के मायने
विपक्ष मजबूत होता है तो सरकार के लिए संविधान के किसी प्रावधान में बदलाव करना मुश्किल होगा क्योंकि संसद के दोनों सदनों मे किसी प्रस्ताव को पास करने के लिए 2 तिहाई बहुमत की और अधिकांश राज्यों की सहमति जरुरी होती है. अगर एनडीए दो तिहाई बहुमत तक पहुंचने मे विफल रही तो भाजपा की एक राष्ट्र एक चुनाव की योजना भी पटरी से उतर जायेगी. यह काऱण है कि पूरी मतगणना के रिजल्ट आने से पहले ही बीजेपी ने अपने सहयोगियों जुटाना शुरु कर दिया है.