नई दिल्ली : 27 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान देने वाले अधिनियम को बिल के रूप में राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है और इसी के साथ ये नारी शक्ति वंदन अधिनियम (women reservation bill), जिसे हम आम तौर से महिला आरक्षण बिल के नाम से जानते हैं,वो पूरी तरह से कानून बन गया है. स्वतंत्र भारत इतिहास में आज का दिन ऐतिहासिक है. आज के दिन कानूनी रुप से देश की आधी आबादी को देश की राजनीतिक विरासत में 33 प्रतिशत की हिस्सेदारी देना सुनिश्चित कर दिया है. शुक्रवार को भारत सरकार ने इस संबध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
President #DroupadiMurmu gives her assent to the #WomensReservationBill which was passed by the both the Houses during the recent special session of Parliament.
The Central government issues a gazette notification for the legislation which is also called… pic.twitter.com/SmAGnLafWv
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 29, 2023
Women Reservation Bill-नई संसद में बनने वाला पहला बिल
आपको बता दें कि नारी शक्ति वंदन कानून नई संसद में पास होने वाला पहला बिल है. 18 से 22 सितंबर तक बुलाये गये विशेष सत्र में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मित से महिला आरक्षण बिल को लंबी बहस के बाद पास करके राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया गया. केंद्र की मोदी सरकार ने इस बिल का नाम नारी शक्ति वंदन विधेयक रखा. इस बिल में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है.
27 सालों में कई बार पेश हुआ बिल, पर पास नहीं हुआ
आपको बता दें कि अब से पहले कई बार महिला आरक्षण बिल संसद में आया. 1996 में संसद में पहली बार एच डी देवेगौड़ा ने संसद में पेश किया लेकिन पास नहीं हो पाया. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में एक बार फिर इस बिल को संसद में पेश किया गया जहां विरोध की वजह से पास नही हो पाया.वाजपेयी सरकार ने इस विधेयक को 1999,2002,2003 और 2004 में भी पास कराने की कोशिश की. 2008 में विधेयक संसद में आया लेकिन देश की कई राजनीतिक पार्टियां जैसे राजद और समाजवादी पार्टी इस विधेयक के विरोध में खड़े थे. समय और हालात के बदलने के बाद अब आखिरकार संसद के दोनों सदनों से विधेयक पास होने के बाद आज राष्ट्रपति से भी बिल को मंजूरी मिल गई है.
महिलाओं के कब मिलेगा बिल का फायदा ?
मोटे तौर पर ये तय है कि ये बिल चाहे 2023 में पास कर दिया गया लेकिन लागू 2029 के बाद ही होगा. आपको बता दें कि महिला आरक्षण बिल कुछ प्रावधानों के साथ पास हुआ है.
— देश की संसद और हर राज्य की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षति होगी.
— लोकसभा और विधानसभा में अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों मे भी एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किया जायेगा.
—- सीटों का आरक्षण रोटेशन बेसिस पर लागू होगा. एक सीट 15 सालों के लिए आरक्षित होगा,फिर रोटेशन के जरिये दूसरी सीट पर यही नियम अगले 15 सालों के लिए लागू होगा.
उपरोक्त प्रावधानों के तहत ये तय है कि महिला आरक्षण बिल भले ही 2023 में लागू कर दिया गया है लेकिन ये लागू 2029 के बाद ही हो पायेगा. इस बिल के साथ ये प्रावधान रखा गया है कि बिल पास होने के बाद भी लागू अगले परिसीमन के बाद ही होगा.
कब होगा अगला परिसीमन ?
आकड़ों के मुताबिक पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी. उसी आधार पर परिसीमन किया जाये तो अगला परिसीमन 2026 में हो सकता है. परिसीमन का काम पूरा होने के बाद अगला लोकसभा चुनाव 2029 में होगा. यानी महिलाओं के आरक्षण का बिल पास हो जाने बाद भी अभी कम से कम अगले 6 साल तक इंतजार करना होगा.