Thursday, September 12, 2024

Onion prices high: आपूर्ति की कमी और श्रावण मास खत्म होने के चलते प्याज की कीमतों में नहीं आई गिरावट

Onion prices high: रसोई में ज़रूरी चीज़ों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसमें प्याज़ की कीमतों में सबसे ज़्यादा उछाल देखने को मिल रहा है. उपभोक्ता मामलों के विभाग के मूल्य निगरानी प्रकोष्ठ के अनुसार, वर्तमान में प्याज़ की कीमत औसतन 45.69 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो पिछले साल इसी समय 31.40 रुपये प्रति किलोग्राम थी.

जुलाई के मुकाबले कितनी बड़ी कीमतें?

द इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक दिल्ली समेत प्रमुख मेट्रो शहरों में प्याज की कीमतें जुलाई के मुकाबले 25% से ज़्यादा बढ़कर 50 रुपये प्रति किलो से ज़्यादा हो गई हैं.
महाराष्ट्र में, जहाँ भारत का सबसे बड़ा प्याज़ व्यापार केंद्र, लासलगांव थोक बाज़ार स्थित है, प्याज़ की कीमतें पिछले महीने की तुलना में 30% बढ़कर बुधवार को 35 रुपये प्रति किलो पर पहुँच गई हैं.

प्याज़ की कीमतों में उछाल के क्या कारण हैं?

प्याज़ की कीमतों में उछाल का कारण श्रावण मास का अंत भी माना जा रहा है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर भारत में श्रावण मास में कई हिंदू प्याज़ के साथ-साथ अन्य आहार प्रतिबंधों से भी परहेज़ करते हैं, जिसके कारण इस अवधि के समाप्त होने के बाद मांग में उछाल आता है.
इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि, प्याज व्यापारी भी स्टॉक को रोके हुए हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि उन्हें अक्टूबर और नवंबर में भारी बारिश की उम्मीद के कारण कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका है, जिससे चलते आपूर्ति बाधित हो सकती है.

Onion prices high: प्याज की बुवाई कम होना भी है एक वजह

जानकारों की माने तो एक अन्य कारण पिछले वर्ष की तुलना में रबी की कम बुवाई है, जिसमें 2023 में 1.23 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में केवल 756,000 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. भारत की कुल प्याज खपत में रबी प्याज का हिस्सा 72-75% से अधिक है.
खरीफ प्याज के लिए भी यही सच था, जिसमें पिछले साल 285,000 हेक्टेयर की तुलना में केवल 154,000 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी.
इसे दूर करने के लिए, केंद्र सरकार ने 40% निर्यात शुल्क और 550 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य के साथ निर्यात को हतोत्साहित किया. रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारण भारत, जो एक प्रमुख प्याज निर्यातक है, ने इस वर्ष केवल 91,316.31 टन निर्यात किया, जबकि सामान्य तौर पर यह 2.4-2.5 मिलियन टन होता है.

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