Bihar Land Survey : बिहार मे जिन परिवारों में पुश्तैनी जमीन में मालिकाने हक को लेकर विवाद चल रहा है उन परिवारों के लिए बिहार में लैंड सर्वे एक अवसर लेकर आया है. इस सर्वे को दौरान कुछ दस्तावेजों के जरिये लोग जमीन को लेकर आपसी बंटबारे की समस्या का समाधान कर सकते हैं. यही वो मौका है जब लोग अपनी पुश्तैनी जमीन के बंटवारे को लेकर अपना नया खितियान/दस्तावेज बना सकते हैं.
Bihar Land Survey में कैसे हो जमीन का बंटबारा
अगर सर्वे के दौरान पुश्तैनी या पारिवारिक जमीन को लेकर परिवार के लोग शिड्यूल बनाकर वंशावली और हस्ताक्षर के साथ देते हैं तो उनकी उनकी जमीन का बंटबारा औऱ मालिकाने हक का फैसला इस दौरान हो जायेगा. जमीन सर्वे के बीच ही उनके जमीन के बंटवारे को मान्यता मिल जाएगी और नये दस्तावेज बंटवारे के हिसाब से बन जाएंगे.
पुश्तैनी जमीन को लेकर बंटबारे के नियम
अगर कोई परिवार अपना शिड्यूल बनाकर बंदोबस्त कार्यालय को देता है और उसपर कोई आपत्ति नहीं आती है तो उस बंटवारे को मान्य माना जाएगा. जमीन के लेकर नया खतियान दस्तावोजें में किये गये बंटवारे के हिसाब से तैयार होगा.
पुश्तैनी जमीन को लेकर सबसे ज्यादा विवाद
बिहार में भूमि सर्वेक्षण के दौरान जो सबसे अधिक विवाद के मामले सामने रहे हैं वो हैं पुश्तैनी जमीन को लेकर. दरअसल केवल मुजफ्फरपुर जिले में ही आये 21 लाख जमाबंदी में लगभग 50 प्रतिशत मामले पुराने खतियान के हैं जिसमें परिवार के बड़ों की मौत के बाद वंशजों में बंटवारे को लेकर आपसी सहमति नहीं बन पाई, और आज भी उनके दस्तावेजों / खतियानों में मृतक मालिकों के ही नाम दर्ज हैं.
सरकार इस समय जो विशेष भूमि सर्वेक्षण कर रही है उसमें उन पूर्वजों के साथ वंशजों या उत्तराधिकारियों के नाम भी जोड़ रही है, ताकि सर्वे के दौरान यदि आपसी सहमति बन जाती है, तो उनका बंटवारा भी सर्वे के दौरान ही हो जाएगा.अगर सहमति नहीं भी बनती है तो उनके खतियान संयुक्त नाम से ही बनेगें.
सर्वे को दौरान काम कर रहे बंदोबस्त पदाधिकारियों की सलाह है कि अगर किसी को अपनी संपत्ति/ संपत्तियों का बंटवारा करना है तो यही समय है जब वो आपसी सहमति से समझौता पत्र बनाकर सर्वे के दौरान प्रस्तुत कर सकते हैं और अपने नये दस्तावेज बना सकते हैं.