Saturday, December 14, 2024

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति खराब, मंदिरों पर हमले तेज

ढाका। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। मोहम्मद युनूस की सरकार के सत्ता में आने के चार महीने बाद से कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के हौसले बुलंद हो गए हैं। शेख हसीना सरकार द्वारा बैन किए गए कई कट्टरपंथी समूहों ने अब हिंदू समुदाय और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ आक्रामक रुख अपना लिया है, जिससे धार्मिक तनाव बढ़ गया है।

मंदिरों पर लगातार हमले
हाल के दिनों में ढाका और अन्य इलाकों में हिंदू मंदिरों पर हमले तेज हो गए हैं। कट्टरपंथी संगठनों ने लोकनाथ मंदिर, मनसा माता मंदिर और हजारी लेन स्थित काली माता मंदिर पर हमला किया। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद इन संगठनों ने दो और मंदिरों – राधा गोविंदा मंदिर और शांतनेश्वरी मंदिर – को निशाना बनाया। इन हमलों ने हिंदू समुदाय को गहरे भय में डाल दिया है और धार्मिक सहिष्णुता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कट्टरपंथियों का बढ़ा प्रभाव
शेख हसीना की सरकार द्वारा जिन कट्टरपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया था, वे अब पहले से ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। हिंदू समुदाय के लोग आरोप लगा रहे हैं कि नई सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर उदासीन है, जिससे कट्टरपंथी ताकतों का मनोबल और बढ़ गया है। यह स्थिति बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चिंता का कारण बन चुकी है।

अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल
लगातार हो रहे हमलों ने हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया है। पूजा स्थलों पर हो रहे हमलों से न केवल धार्मिक स्वतंत्रता, बल्कि सामाजिक सहिष्णुता पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। स्थानीय हिंदू संगठनों ने सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है ताकि इन हमलों पर काबू पाया जा सके और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सरकार की चुप्पी पर सवाल
मोहम्मद युनूस सरकार ने इन घटनाओं पर अब तक कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है, जिसे लेकर हिंदू संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकार की चुप्पी से कट्टरपंथी तत्वों के हौसले और बढ़े हैं, और यह स्थिति बांग्लादेश में शांति और धार्मिक सहिष्णुता को खतरे में डाल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही आलोचना
इन हमलों के बाद, बांग्लादेश की नई सरकार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ रहा है कि वह अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। यदि यह स्थिति जल्दी काबू में नहीं आई, तो बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की अपील की है, ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा और सम्मान मिल सके।

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news