Bihar Land Survey : जमीन के मालिकाना हक और जमीन विवादों को कम करने के मकसद से बिहार में सरकार लैंड सर्वे का काम करवा रही है. बीते 20 अगस्त से सभी जिलों के करीब 40 हजार गावों में सरकार जमीन का सर्वे कराने का काम कर रही है. इस सर्वे के दौरान लोगों को उनकी जमीन के मालिकाना हक वाले दस्तावेज अधिकारियों को दिखाने होंगे . पुस्तैनी जमीन के लिए वंशावली दिखाना जरुरी होगा.
Bihar Land Survey : वंशावली में बहनों का नाम बताना अनिवार्य
बिहार में लैंड सर्वे को दौरान तरह तरह के सवाल समाने आ रहे है, जिनमें सबसे अधिक उठने वाला सवाल ये है कि पुश्तैनी जमीन में मालिकाना हक के कागजात बनवाने के लिए बहनों का नाम डालें या नहीं ?
इस संबंध में बंदोबस्त पदाधिकारी फिरोज अख्तर का कहना है कि भूमि सर्वेक्षण के दौरान नया खतियान बनाने के लिए हर परिवार की वंशावली में अगर लड़कियां है तो उनका नाम भी होना जरुरी है. बहनों का नाम ना देने के स्थिति में परिवार को कानूनी पचड़ों से गुजरना पड़ सकता है. बहनों का नाम ना देने के स्थिति में आपत्ति आ सकती है. ऐसे में हर परिवार के लिए जरुरी है कि वो अपनी वंशावली में बहनों के नाम का भी जिक्र करें.अगर बहन परिवार की पुश्तैनी जमीन में अपना हक नहीं लेना चाहती है तो इसके लिए दूसरे रास्ते मौजूद हैं.
वंशावली बहनों के नाम के बिना अधूरी मान जायेगी
लैंड सर्वे कर रहे बंदोबस्त पदधिकारी के मुताबिक किसी भी परिवार में अगर लड़की है तो उनकी वंशावली में बहनों का नाम होना अनिवार्य है, नहीं तो उनकी वंशावली अधूरी मानी जाएगी. अगर बहन या बेटी चाहे तो उनका नाम बंदोबस्त कार्यालय में ही जांच में शामिल कर लिया जाएगा. इसलिए वंशावली में बहनों का नाम नहीं देने से कोई फायदा नहीं होगा. अगर किसी परिवार में बहन या बेटी अपने पिता या भाई की संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं लेना चाहती हैं तो उन परिवारों को एक शेड्यूल बनाकर जमा करना होगा , जिसमें बहन या बेटी या दोनों को शिविर कार्यालय में से लिखित में देना होगा कि उन्हें पिता या भाई की संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं चाहिये, इसलिए जमीन का खतियान भाइयों के नाम पर बना दिया जाये.ऐसा होने पर ही नये खतियान में केवल भाईयों का नाम हो सकता है.
बंदोबस्त पदाधिकारी के मुताबिक भूमि सर्वेक्षण में जमान मालिक के द्वारा जो भी दस्तावेज उपलब्ध कतराये जायेंगे, उनकी जांच बंदोबस्त कार्यालय करेगा. किसी भी दस्तावेज का सर्टिफाइड या मूल में होना जरुरी नहीं है.
नगर से जुड़े गांवों में भी सर्वेक्षण की तिथि तय
मुशहरी समेत अन्य प्रखंडों के नगर निकायों में बंदोबस्त कार्यालय ने आंशिक रूप से शामिल गांवों में जो हिस्से बचे उनमें भी सर्वे की तिथि तय कर दी है. नगर निकाय से बाकी बचे गांव के इलाकों में (अंश में) ग्रामसभा का आयोजन ठीक उसी तरह से होगा जैसे दूसरे गांवों में हुआ था. ग्रामसभा के आयोजन के 45 दिन के अंदर रैयतों को प्रपत्र भरकर जमा करना है. इसके लिए आतिम तारिख आगे बढेगी , इसलिए कहा गया है कि रैयतों को परेशान होने की जरूरत नहीं है.