RBI ON Repo Rate : देश में अगले एक साल के लिए मौद्रिक नीति निर्धारण के लिए हुई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की बैठक में लिये गये फैसलों को लेकर ऐलान कर दिया गया है. ये बैठक 6 अगस्त से शुरु हुई थी. रिजर्व बैंक की 6 सदस्सीय समिति ने अगले एक साल के लिए मौद्रिक नीति ( monetary policy setting) तय कर लिया है औऱ आज इसके बारे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने घोषणा भी कर दी है.
RBI ON Repo Rate : रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
इस साल रेपो रेट को यथावत रखा गया है,रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यानी कि आम लोगों के लिए राहत की बात है. जिन लोगों ने लोन लिया हुआ है उनकी इएमआई वही रहेगी जो पिछले साल होती रही है.रिजर्व बैंक ने लगातार 8वीं बार रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही यथावत रखा है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि समिति के 6 में से 4 सदस्य स्थिति को पूर्ववत रखने के पक्ष में थे. समिति ने अपनी नीति की घोषणा करते समय ग्लोबल संकट के बारे में भी चिंता की और परिस्थियों के देखते हुए रेपोरेट को यथावत रखने पर सहमति बनी.
एमपीसी बैठक (monetary policy setting) में SDF 6.25%, MSF 6.75% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार रखा गया है. इसके अलावा कैश रिजर्व अनुपात 4.50% और SLR 18% पर यथावत है.
RBI के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि वर्तमान समय में ग्लोबल स्थितियां काफी चुनौतीपूर्ण है. विश्व के कई देश सेंट्रल बैंक में ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार कर रहे हैं,जबकि कुछ देश ऐसे हैं दो ब्याजदरों को बढ़ाने पर विचार कर रहे है. भारत के बैंक विश्वस्तर पर होने वाले बदलाव को पैनी नजर से देख रहा है.
अगले वित्त वर्ष में जीडीपी 7.2 रहने का अनुमान
रिजर्व बैंक ने वर्ष 2024-2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इस साल के ग्रोथ रेट में कोई बदलाव नहीं है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 का रियल GDP 7.2% पर रहने का अनुमान बरकरार है. वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के लिए GDP 7.3% से घटाकर 7.1% किया गया है. दूसरी तिमाही में ये ग्रोथ 7.2 प्रतिशत , तीसरी तिमाहीमें 7.3% और चौथी तिमाही में 7.2% पर ही बरकरार रखा गया है. कारोबारी वर्ष 2026 के पहली तिमाही में रियल GDP 7.2% रहने का अनुमान है.
Repo Rate का EMI पर असर
रिजर्व बैंक हर दो महीने में MPC (monetary policy setting) की बैठक करता है , इसमें रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास समेत छह सदस्य होते है जो देश में महंगाई समेत अन्य मुद्दों और बदले नियमों पर विचार करते हैं.आपको बता दें कि रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित रेपो रेट का सीधा संबंध बैंक से लोन लेने वाले उपभोक्ताओं से होता है. रेपो रेट कम होने से लोन की EMI कम हो जाती है और रेपो रेट बढ़ता है तो लोन के अमाउंट में भी बढ़ोतरी हो जाती है. दरअसल, रेपो रेट वो दर है जिसपर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है. रेपो रेट का उपयोग वित्तीय अधिकारियों के द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.