Friday, March 28, 2025

Trump’s tariff: ‘नाम नरेंद्र – काम सरेंडर’, कांग्रेस ने पीएम मोदी से ट्रंप के टैरिफ दावों पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की

Trump’s tariff: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे के संबंध में संसद को विश्वास में लें कि भारत टैरिफ दरों में कटौती कर रहा है. कांग्रेस ने अपने एक्स अकाउंड पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत के साथ व्यापार और उसके टैरिफ के बारे में बात करने वाले एक वीडियो को टैग करते हुए लिखा, “अमेरिका के राष्ट्रपति का कहना है कि वो भारत को बेनकाब कर रहे हैं. ये भारत का अपमान है. ट्रंप ने ये भी कहा कि उनसे डरकर नरेंद्र मोदी ने टैरिफ कम कर दिए. नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि ट्रंप को खुश करने के लिए क्या समझौते किए गए? देश के सम्मान को गिरवी क्यों रखा गया? ये बेहद गंभीर मामला है. इसपर मोदी सरकार को देश को जवाब देना चाहिए. साथ ही सर्वदलीय बैठक बुलाकर इससे जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा हो, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रहित सर्वोपरि हो.”
कांग्रेस ने कहा कि, “अगर मोदी सरकार कोई जवाबी कार्रवाई करती है, हम विपक्ष की हैसियत से उसके साथ खड़े दिखेंगे. बस इतना बता दें- आप घर पर ही शेर बने हुए हैं या बाहर भी कभी दहाड़ेंगे?”

ट्रंप ने कहा- भारत को धमकाया और अपनी बात मानने को मजबूर कर दिया

पहले जयराम रमेश एक पोस्ट लिख और फिर पवन खेड़ा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला, पवन खेड़ा ने कहा, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा – मैंने भारत की पोल खोल दी है, इसलिए अब वह अपने टैरिफ कम करने को मान गए हैं. ऐसा लग रहा है किसी ने भारत को धमकाया और अपनी बात मानने को मजबूर कर दिया. हमने जब से यह शब्द सुने, मन को बहुत दुख हुआ. कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे. उनकी मौजूदगी में भारत को रेसिप्रोकल टैरिफ के नाम पर धमकाया जा रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं कहा- ऊपर से मुस्कुरा रहे थे. यहां तक कि जब प्रधानमंत्री वहां से लौटे, तो उसके कुछ घंटों बाद एक हवाई जहाज भारत में उतरा, जिसमें हमारे लोग बेड़ियों से जकड़े हुए थे.

अगर मोदी सरकार जवाबी कार्रवाई करे, तो कांग्रेस देगी साथ-पवन खेड़ा

पवन खेड़ा ने कहा, टैरिफ की सबसे बड़ी चोट इस देश के लघु उद्योग को पड़ेगी. हमारे देश को सालाना 60 हज़ार करोड़ रुपए का नुकसान होगा. इसकी चोट नरेंद्र मोदी के क्रोनी कैपिटलिस्ट दोस्तों को नहीं पड़ेगी. सवाल यह है कि जब कनाडा, मेक्सिको और नेपाल भी अमेरिका से नहीं डर रहे, तो नरेंद्र मोदी को किस बात का डर है? बड़ी-बड़ी अमेरिकी कंपनियां भारत के बाजार में हैं, लाभ उठा रही हैं. अगर अमेरिका एक विकसित देश है, उसकी कंपनियां हमारे बाजार में आकर दुकान खोल रही हैं, तो भारत एक विकासशील देश है, हम भी अपने हितों की रक्षा करेंगे. अगर मोदी सरकार कोई जवाबी कार्रवाई करती है, हम विपक्ष की हैसियत से उसके साथ खड़े दिखेंगे. बस इतना बता दें- आप घर पर ही शेर बने हुए हैं या बाहर भी कभी दहाड़ेंगे?

आखिर ये लोग क्यों डर रहे हैं?-पवन खेड़ा

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में शेर की तरह दहाड़ते हैं, लेकिन बाहर जाकर ‘मिट्टी के शेर’ बन जाते हैं. ‘नाम नरेंद्र – काम सरेंडर’ हम इस मिट्टी के शेर को भारत की छवि से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दे सकते.
कांग्रेस ने कहा एक तरफ ट्रंप, नरेंद्र मोदी से गले मिल रहे हैं, दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था का गला काट रहे हैं- इसमें मोदी सरकार को कोई दिक्कत नजर नहीं आती. यह साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री के लिए उनकी छवि देश की आर्थिक स्थिति से बढ़कर है. तमाम देश अमेरिका को जवाब दे रहे हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री एक शब्द नहीं बोल रहे हैं. आखिर ये लोग क्यों डर रहे हैं?

पीयूष गोयल के अमेरिका दौरे पर भी उठाए सवाल

पवन खेड़ा ने कहा, हमारे मन में भारत के प्रधानमंत्री पद की गरिमा और ताकत की एक छवि बनी हुई है. वो छवि बनी 1971 में बांग्लादेश के वक्त, जब अमेरिका ने हमें धमकाया, अपना सातवां बेड़ा भेज दिया. हम नहीं झुके और बांग्लादेश को आजाद कराया. 1974 में पोखरन में, जब अमेरिका ने हमें रोकने के लिए तारापुर प्लांट का फ्यूल रोक दिया. हम तब भी नहीं दबे, नहीं डरे. पोखरन-2 के समय अटल जी प्रधानमंत्री थे. तब भी हमें डराया-धमकाया गया, मगर हम नहीं डरे. आज हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री पद की छवि की ऐसी हालत क्यों हो गई? यह सवाल हम सबको पूछना चाहिए. अभी मंत्री पीयूष गोयल व्यापार पर बातचीत करने के लिए अमेरिका गए हुए हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति अपमानित करते हुए घोषणा कर रहे हैं कि भारत टैरिफ कम करने को मान गया. लेकिन सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं हुई. किसी को कुछ नहीं मालूम. न विपक्ष को मालूम, न मीडिया को, न देश को, न कैबिनेट को. अगर आज हमारे प्रधानमंत्री भारत को यूं कमजोर करके लौट आते हैं, तो विश्व पटल पर भारत को गंभीरता से कैसे लिया जाएगा?

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