Joshimath Landslide , नैनीताल: जोशीमठ भू धंसाव के सम्बन्ध में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार को दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है .सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि वह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की रिपोर्ट पर अपना अंतिम निर्णय लेकर उच्च न्यायालय की खंडपीठ को अवगत कराये.
Joshimath Landslide : उत्तराखण्ड सरकार एनडीएमए की रिपोर्ट पर अपना अंतिम निर्णय ले- हाईकोर्ट
गौरतलब है कि चिपको आंदोलन एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलन से जुड़े रहे केंद्रीय अध्यक्ष पी० सी० तिवारी ने यह जनहित याचिका इस आशय से दाखिल की थी कि फरवरी 2021 को भी एक बार ग्लेशियर फटा था, उसके कुछ महीनों बाद, जब जोशीमठ में भीषण भू-धंसाव होने लगा.
इस जनहित याचिका में यह आवेदन किया गया कि नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एन०टी०पी०सी०) द्वारा जोशीमठ में चलाये जा रहे विष्णुगाड तपोवन जल विद्युत् परियोजना को रोका जाये। एडीएम जोशीमठ ने 05 जनवरी 2023 को सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगायी थी.
विष्णुगाड तपोवन जल विद्युत् परियोजना में गतिविधियां पुनः शुरू करने पर लेना है फैसला
इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने 12 जनवरी 2023 को सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगायी थी जो अबी तक चल रहा है क्योंकि पिछली बार, राज्य सरकार ने केवल कुछ घंटों के नोटिस पर याचिकाकर्ता को इस विषय पर बैठक के लिये आमंत्रित किया था.
इस बार न्यायालय द्वारा पुनः राज्य सरकार को आदेशित किया गया है कि वह याचिकाकर्ता और एन० टी० पी० सी० दोनों को सुनवाई का पर्याप्त अवसर दे और उसके बाद एन० डी० एम० ए० के उस रिपोर्ट पर एक निर्णय ले जिसमें यह तय किया जाना है कि विष्णुगाड तपोवन जल विद्युत् परियोजना को अपनी गतिविधियों के लिये मंजूरी दी जाये या नहीं.
यह भी बता दें कि एन टीपीसी लगातार इस परियोजना को पुनः प्रारम्भ करने की बात कर रहा है और वहां पर ब्लास्टिंग गतिविधियों के लिये भी अनुमति चाह रहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और जस्टिस आलोक वर्मा की खंडपीठ द्वारा की गई.