Thursday, March 27, 2025

300 सालों से इस गांव में नहीं खेली गई होली, बाबा बड़राव की वजह से रंगों से दूर लोग

झारखंड के बोकारो जिले के एक गांव के लोग होली के रंग का नाम सुनकर ही डर उठते हैं. इस गांव में पिछले लगभग 300 वर्षों से होली नहीं खेली जाती है. खास बात यह है कि 5 हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव में कोई भी होली खेलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. कुछ बातों का ध्यान रखते हुए गांव के बाहर बसे अपने परिजनों के घरों में लोग होली खेल सकते हैं, लेकिन गांव में नहीं. खास बात यह कि इस गांव में ब्याह कर आई महिलाएं भी यहां की परंपरा में ढल जाती हैं. बता दें कि बोकारो जिले के कसमार प्रखंड स्थित दुर्गापुर होली नहीं खेलने की वजह को लेकर दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है.

दरअसल,  इलाके के राजा दुर्गा प्रसाद की हत्या होली के दिन रामगढ़ राजा के द्वारा किए जाने को लेकर है. हालांकि, गांव के लोगों को पूर्वजों ने यह जरूर बताया है कि हत्या के बाद बाद करीब 100 वर्ष गांव में कुछ खानाबदोश मल्हार जाति के लोग 8 दिनों से आकर ठहरे हुए थे इन लोगों ने होली के दिन रंग और गुलाल की होली खेली, पर उसी दिन दो लोगों की मौत हो गई. गांव में महामारी फैल गई. जब गांव के लोगों ने गांव के पाहन से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि यह होली खेलने की वजह से हुई है. उसके बाद दुर्गा पहाड़ के पास स्थित बाबा बड़राव के पास जाकर पूजा अर्चना की गई गलती के लिए क्षमा मांगी गई तब फिर गांव में शांति स्थापित हुई.

गांव के लोगों का कहना है कि पूर्वजों ने बताया है कि बाबा बड़राव को रंग पसंद नहीं है. गांव के लोगों का कहना है कि होली के दिन यह लोग कहीं होली खेलने नहीं जाते हैं अगर कोई ससुराल और मामा घर जाता है तो वहां होली खेल सकता है. लेकिन, होली के दिन अगर इस गांव के लोग कहीं दूसरे गांव जाते हैं तो लोग भी उन्हें रंग देने से डरते हैं. दुर्गापुर गांव में 11 टोला है जिसकी कुल आबादी लगभग 5 हजार से अधिक है. लोगों का कहना है कि जो महिलाएं यहां ब्याह करती है वह भी गांव की परंपरा से ढल जाती हैं.गांव के लोगों ने बताया कि यह कथा बड़े-बुजुर्गों के द्वारा बताई गई है, जो आज तक चली आ रही है.

कोई भी व्यक्ति यहां होली खेलने की हिम्मत नहीं जुटाता है. गांववालों का कहना है कि रामगढ़ के राजा पद्म की पत्नी रानी अपने मायके बंगाल से होकर होली के दो दिन पूर्व किस रास्ते से गुजर रही थी. इसी दौरान यहां के राजा दुर्गा प्रसाद के द्वारा उन्हें रोक कर उनके द्वारा ले जाए जा रहे सामानों की जांच की गई. बस के बीच भर कर ले जाए जा रहे नई साड़ी को भी निकाल कर देखा गया. इस बात की जानकारी रानी ने जाकर राजा को दी और राजा होली के दिन अपने दल बल के साथ वहां पहुंचे और दुर्गा प्रसाद को हमला कर मौत के घाट उतार दिया. लोगों का कहना है की होली के दिन हम लोग रंग गुलाल नहीं खेलते हैं लेकिन पूरा पकवान जरूर हम लोग बनाते हैं और खाते भी हैं.

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