हिंदू धर्म में समय की गणना संवत के अनुसार होती है. वैदिक पंचांग के हिसाब से हिंदू धर्म में त्योहारों का आगमन होता रहता है. कार्तिक मास के बाद मार्गशीर्ष मास पड़ता है जो बेहद फलदायक होता है. इस मास में विशेष पर्वों का आगमन सभी समस्याओं और दुखों से छुटकारा दिला देता है. 12 नवंबर को काल भैरव अष्टमी आ रही है. इस दिन यदि हरिद्वार में कुछ विशेष कार्य किया जाए तो शत्रु बाधा, भय, मुकदमें आदि से मुक्ति मिल जाती है. चलिए विस्तार से जानते हैं काल भैरव अष्टमी का महत्त्व और शुभ मुहूर्त. हरिद्वार के विद्वान धर्म आचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री लोकल 18 से बताते हैं कि काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव काशी के कोतवाल हैं.
इस मंत्र का जाप
हरिद्वार में भी काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिव के मंदिर या भैरव मंदिर जाकर भैरवाष्टक या महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए तो अदालत में चल रहे मुकदमें से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं का डर खत्म हो जाता है. श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि हरिद्वार सप्त नगरी में है. काल भैरव भोलेनाथ के रौद्र रूप हैं और हरिद्वार की अप नगरी में भोलेनाथ की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर है. यदि काल भैरव अष्टमी के दिन भोलेनाथ के सिद्ध पीठ स्थल दक्षेश्वर महादेव, नीलेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, दरिद्र भंजन महादेव, गौरी शंकर महादेव आदि मंदिरों में जलाभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जाए तो सभी कार्यों में सफलता मिल जाएगी.
कब से कब तक
1 नवंबर को मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रात 11:09 से शुरू हो जाएगी जो 12 नवंबर की रात 10:58 तक रहेगी. सुबह 5:07 मिनट से 6:11 तक इसका शुभ मुहूर्त है. इस मुहूर्त में पूजा पाठ करना बेहद ही शुभ रहेगा.

