Saturday, June 14, 2025

पर्दे पर 60 बार ‘नारद मुनि’ बना था सिनेमा का ये खलनायक

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नई दिल्ली। किरदार बना पहचान वाली बात हिंदी सिनेमा के एक दिग्गज फनकार के लिए सही साबित होती है, जिसने एक या दो नहीं बल्कि 60 से ज्यादा बार पर्दे पर नारद मुनि का रोल प्ले किया। हाथों में मृदंग लेकर और नारायण नारायण बोलकर जब भी ये एक्टर फिल्मों में दिखता था तो मानों ऐसा लगता था कि हकीकत में नारद मुनि सामने आ गए हैं। 

इस किरदार को निभाने वाले दिग्गज अभिनेता का नाम ओंकार नाथ धर यानी जीवन था। जीवन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के वेटरन एक्टर के तौर पर आज भी फैंस के दिलों में राज करते हैं। आइए इनके बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं। 

60 बार बने नारद मुनि

जम्मू और कश्मीर में जन्में जीवन का असली नाम ओंकार नाथ धर था। लेकिन वह सिनेमा जगत में अपने स्क्रीन नेम से काफी लोकप्रिय हुए। उनका दमदार अभिनय और कमाल की डायलॉग डिलीवरी उनको बाकी कलाकारों से काफी अलग बनाती थीं। बचपन से ही जीवन को एक्टिंग का शौक था और उन्होंने अपने शौक को करियर में तब्दील किया। 

लगभग 6 दशक तक जीवन ने बॉलीवुड में काम किया और इस दौरान कई शानदार मूवीज में अलग-अलग किरदार निभाए। लेकिन माइथोलॉजिकल मूवीज और शोज में नारद मुनि की भूमिका निभाकर जीवन ने खास उपलब्धि हासिल की।

आईएमडीबी की रिपोर्ट के अनुसार 60 से ज्यादा मौके पर उन्होंने ये रोल प्ले किया। कमाल की बात ये थी कि जब भी जीवन बाहर जाते थे तो लोग उन्हें सच में नारद मुनि मानकर सम्मान देते थे। 1950 में आई फिल्म हर हर महादेव में उनके नारद मुनि के कैरेक्टर को काफी पसंद किया गया था।

26 रुपये लेकर छोड़ दिया था घर

एक अभिनेता बनने के लिए जीवन ने काफी संघर्ष किया था। कश्मीरी पंडित परिवार से नाता रखने वाले जीवन ने एक्टर बनने का सपना लेकर 26 रुपये जेब में लेकर घर को छोड़ दिया था और मुंबई भाग आए थे। लेकिन किसी ने सच कहा कि कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती है और जीवन ने भी कड़ी मेहनत की, जिसका फल उनको 1935 में रोमांटिक इंडिया के ब्रेक से मिला। 

सिनेमा का मशहूर खलनायक 

सिर्फ नारद मुनि ही नहीं बल्कि जीवन ने 60 से लेकर 80 के दशक के बीच तमाम हिंदी मूवीज में खलनायक की भूमिका को निभाया था। बतौर विलेन उनकी पॉपुलर मूवीज इस प्रकार हैं-

  • जॉनी मेरा नाम
  • अमर अकबर एंथनी
  • धर्मवीर
  • नया दौर
  • मेला 
  • तीन चोर

आपको बता दें कि साल 1987 में जीवन का देहांत हो गया था और इस तरह से सिनेमा ने एक बेहतरीन कलाकार को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया था।

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