Saturday, February 15, 2025

तलाकशुदा मुस्लिम महिला भी CRPC के तहत अपने पूर्व पति से मांग सकेंगी गुजारा भत्ता, जानें क्या है CRPC की धारा 125

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हित में बड़ा फैसला सुनाया है. इसके तहत अब मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति के खिलाफ सीआरपीसी CRPC की धारा-125 के तहत अपने भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर पाएंगी. देश के सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से उन मुस्लिम महिलाओं को बड़ी सहायता मिलेगी जिनका तालक हो चुका है और जो अकेले रहने के लिए मजबूर हैं.

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने तेलंगाना के मुस्लिम व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए ये फैसला लिया और कहा कि CrPC की धारा 125 देश की सभी महिलाओं के लिए लागू होती है, चाहे वे किसी भी धर्म से क्यों न हो. आपको बता दें कि तेलंगाना के एक व्यक्ति ने सीआरपीसी की धारा 125 में तलाकशुदा पत्नी को भरण-पोषण दिए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में आगे कहा गया कि अब मुस्लिम महिलाएं भी धारा 125 के तहत अपने भरण-पोषण के लिए गुजारा भत्ते की मांग कर सकेंगी.

CRPC की धारा 125 क्या कहती है?

CRPC की धारा 125 के उन लोगों को अधिकार प्रदान करती है जो कि खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हैं. इस धारा में पत्नियों, बच्चों और माता-पिता को अपने भरण-पोषण के लिए गुजारा भत्ता लेने के लिए अधिकार प्राप्त हैं. इस धारा के मुताबिक वो महिला जिसे उसके पति ने तलाक दे दिया है या फिर किसी वजह से महिला ने तलाक लिया है और वो फिर से शादी नहीं करती तो उसको अधिकार है कि वो अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता ले सकती है.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को सुनाते हुए कहा कि CrPC की धारा 125 हर तरह से धर्मनिरपेक्ष है. चाहें कोई पति-पत्नी हिंदू हों या मुस्लिम, ईसाई हों या पारसी, ये प्रावधान सभी पर लागू हो सकता है. जिसमें ये माना गया कि मुस्लिम तलाकशुदा महिला CrPC की धारा 125 के तहत अपना भरण-पोषण मांगने की हकदार है.

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news