व्यापार: वाणिज्य मंत्रालय की इकाई डीजीटीआर ने चीन से आयात होने वाले एक खास रबर पर एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है। यह रबर मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल उद्योग में इस्तेमाल होता है।
चीन से आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की मांग
जांच की पहल रिलायंस सिबुर इलास्टोमर्स की शिकायत के बाद की गई है। कंपनी का आरोप है कि चीन से हेलो आइसोब्यूटेन और आइसोप्रीन रबर की डंपिंग से भारतीय निर्माताओं को नुकसान हो रहा है। डीजीटीआर ने अपनी अधिसूचना में कहा कि आवेदक ने चीन से आयात पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की मांग की है ताकि घरेलू उद्योग को अनुचित मूल्य प्रतिस्पर्धा से बचाया जा सके।
सस्ते आयात से घरेलू कंपनियों को हो रहा नुकसान
डीजीटीआर ने कहा है कि घरेलू कंपनी की ओर से दाखिल विस्तृत आवेदन और प्रस्तुत प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर यह जांच शुरू की गई है। आवेदन में आरोप लगाया गया है कि चीन से रबर की डंपिंग से भारतीय उद्योग को नुकसान हो रहा है।
अगर आरोप सही साबित हुआ तो क्या होगा?
डीजीटीआर के अनुसार, अगर जांच में यह साबित होता है कि सस्ते आयात के कारण घरेलू कंपनियों को भौतिक नुकसान हुआ है, तो संस्था एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की सिफारिश करेगी। इस पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय लेगा। यह रबर साइकिल, कार, ट्रक और औद्योगिक टायरों की इनर ट्यूब्स, साथ ही सील, टैंक लाइनिंग, कन्वेयर बेल्ट, सुरक्षा परिधान और खेल सामग्रियों जैसे बॉल ब्लैडर्स के निर्माण में भी उपयोग होता है।
एंटी-डंपिंग जांच क्यों की जाती है?
एंटी-डंपिंग जांच आमतौर पर तब शुरू की जाती हैं जब किसी देश में घरेलू उद्योग को सस्ते आयात से नुकसान पहुंचने की आशंका होती है। ऐसे मामलों में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ढांचे के तहत एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जाती है ताकि घरेलू उत्पादकों और विदेशी निर्यातकों के बीच समान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाया जा सके।
भारत ने कई देशों पर लगाया है एंटी-डंपिंग शुल्क
भारत और चीन दोनों डब्ल्यूटीओ के सदस्य हैं। भारत ने इससे पहले भी चीन समेत कई देशों से आने वाले सस्ते आयातों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है ताकि स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

