Tuesday, November 12, 2024

देशभर में पटाखों पर प्रतिबंध, जानें कौन-कौन से राज्यों में लागू किए गए नियम

नई दिल्ली। देशभर में दिवाली की तैयारियां जोरों पर हैं, घर सज चुके हैं, और बच्चों से लेकर बड़े तक पटाखों के इंतजार में हैं। लेकिन, प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए कई राज्यों में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आइए जानते हैं किस राज्य में पटाखों को लेकर क्या आदेश जारी किए गए हैं।

दिल्ली में पूरी तरह से बैन हैं पटाखे
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी, 2025 तक पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें ऑनलाइन बिक्री भी शामिल है। हालांकि, ‘ग्रीन क्रैकर्स’ को दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक जलाने की अनुमति है, जो अपेक्षाकृत कम प्रदूषण फैलाते हैं।

पंजाब-हरियाणा सरकार का सख्त रुख
पंजाब और हरियाणा में भी दिवाली, गुरु पर्व, क्रिसमस और नए साल पर पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। गुरुग्राम में विशेष सख्ती बरती जा रही है, जहां दिल्ली जैसे मिले-जुले नियम लागू किए गए हैं। दिवाली और गुरु पर्व पर कुछ घंटों के लिए ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी गई है।

बिहार में ग्रीन पटाखे भी बैन
बिहार में ग्रीन पटाखों के उपयोग और बिक्री पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यह निर्णय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों के तहत लिया गया है ताकि वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके। पटना, गया, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर में ग्रीन पटाखों का भी उपयोग नहीं किया जाएगा।

महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में सख्ती
महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में दिवाली के दिन सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि महाराष्ट्र में ग्रीन पटाखों की अनुमति है। मुंबई पुलिस ने 23 अक्टूबर से 24 नवंबर तक Sky Lantern के उपयोग और बिक्री पर भी रोक लगाई है।

तमिलनाडु और कर्नाटक में आतिशबाजी के लिए समय सीमा
तमिलनाडु में दिवाली के दिन सुबह 6 से 7 बजे और शाम 7 से 8 बजे तक पटाखे जलाने की अनुमति दी गई है। तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) ने प्रदूषण और शोर नियंत्रण के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की है। कर्नाटक में भी केवल ग्रीन क्रैकर्स जलाने की अनुमति है, और दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं।

इस तरह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न राज्यों ने कड़े नियम लागू किए हैं, जिससे लोगों की सेहत और वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके।

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