Tuesday, October 8, 2024

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव

J&K Assembly Elections (अजय दीक्षित) 
कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं . अभी मात्र हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ है . पिछली बार महाराष्ट्र के चुनाव हरियाणा के साथ हुये थे . महाराष्ट्र की विधानसभा हरियाणा की विधानसभा के 22-23 दिन बाद खत्म हो जायेगी . विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी तीन पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर उलझ है . असल में अभी शिवसेना (शिंदे) का मुख्यमंत्री है. देवेन्द्र फडणवीस पूरे मुख्यमंत्री थे . परन्तु केन्द्र के निर्देश पर पुणे उपमुख्यमंत्री पद संभालना पड़ रहा है . अजित गुट भी अभी त्रिशंकु की स्थिति में हैं . उसका कोई नुमाइंदा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सका है . भाजपा चाहती है कि महाराष्ट्र में उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री हों. यह शिंदे गुट को पसंद नहीं आयेगा . तो वह असमंजस में है . शिंदे गुट कांग्रेस या शरद गुट एन.सी.पी. से समझौता नहीं कर सकती . अजित गुट इतनी सीटें नहीं जीतेगा कि वह गठबंधन करके सरकार बना लें .

J&K Assembly Elections – ‘बीजेपी के दावे में कितना दम’

पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह दो दिन के दौरे पर जम्मू कश्मीर  थे . उन्होंने घोषणा की है कि अगली सरकार उनकी ही बनेगी . असल में उन्हें जम्मू के हिन्दू वोटों पर भरोसा है . कश्मीर में तो उन्होंने पहले चरण के चुनाव में पांच-सात सीटों पर अपना उम्मीदवार ही नहीं खड़ा किया है . असल में वहां हिन्दू उम्मीदवार मिलना कठिन है . मिल भी जाए तो वह जीतेगा नहीं और मुसलमान उनकी पार्टी में बड़ी संख्या में शामिल नहीं है . जो मुसलमान भाजपा में शामिल हैं, उनके बहुत बड़ा वोट बैंक नहीं है . यही बीजेपी की दुविधा है . जिस प्रकार योगी आदित्यनाथ और डॉ. मोहन यादव हिन्दुत्व की बात करते हैं, उस सिद्धांत को देखते हुए भी ज्यादा मुसलमान भाजपा में नहीं जायेंगे . गुलाम नबी आजाद से भाजपा गठबंधन कर सकती है, परन्तु गुलाम नबी आजाद काफी ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएंगे . उनकी पार्टी के पास काडर ही नहीं है . लगता है कि वे अकेले उस पार्टी के सर्वेसर्वा हैं.

बीजेपी की सरकार बनी तो विस्थापित हिंदुओं की वापसी होगी

गृहमंत्री ने कहा है कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर हिन्दू पंडितों की वापसी होगी और पर्यटन में बढ़ावा देकर रोजगार सृजित करेंगे. अब पांच साल से 370 हटने के बाद उपराज्यपाल सरकार चला रहे हैं , तो इन पांच सालों में कितने कश्मीरी पंडितों की वापसी हुई है . जहां तक पर्यटन का सवाल है अब कश्मीर में.ए.सी. चलने लगे हैं तो पर्यटक क्यों कश्मीर जायेंगे ? वैसे भी वहां बाहरी लोग आतंकवादियों की निशाने पर हैं, तो लोग आशंकित रहते हैं . असल में प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ के कारण न केवल कश्मीर बल्कि मसूरी, नैनीताल में भी अब लोग पंखे चलाते हैं . शायद अगले कुछ सालों में ए.सी. भी चलने लगे . कश्मीर में सेब की उपज भी कम हो रही है . अत: पर्यटन अब ज्यादा संख्या में कश्मीर का रुख नहीं करेंगे.

कश्मीर की नैसर्गिक खूबसूरती खतरे में 

बेरोजग़ारी पूरे भारत की समस्या है . यह केवल कश्मीर की बात नहीं है . कश्मीर की झील में अब जलकुंभी उगने लगी है . लोग झील में कूड़ा फेंक रहे हैं . इन सब कारणों से पर्यटन से रोजगार की समस्या कठिन है . असल में भारत की राजनीति में अब परस्पर वार्ता खत्म हो गई है . कांग्रेस बीजेपी को कोसती है . भाजपा के प्रवक्ता राहुल गांधी को पप्पू कहते हैं या ये दो लडक़े (मतलब राहुल गांधी और अखिलेश यादव) असल में कश्मीर की समस्या के लिए वहां के बुद्धिजीवियों को साथ लेना होगा . क्या यह संभव है कि मेहबूबा और फारूक अब्दुल्ला के साथ भाजपा की वार्ता हो सके और फिर मिलकर कश्मीर के विकास पर बात हो . कश्मीर की समस्या इतनी आसान नहीं है जितनी दिखलाई पड़ती है । सबके सहयोग से ही रास्ता निकलेगा.

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