Friday, November 8, 2024

ईरान में जारी हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन में 41 की मौत

ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का दौर 10 दिन बाद भी जारी है. 22 साल की लड़की महसा अमीनी की हिजाब पुलिस के जुल्म के चलते हुई मौत के बाद से ईरान में कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. खबर है कि इन प्रदर्शनों में अबतक 41 लोगों की मौत हो गई है और 700 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है. ईरान प्रशासन प्रदर्शनकारियों को सबक सिखाने के लिए ताकत का इस्तेमाल कर रहा है. आंसू गैस के गोले और पेलेट गन का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाया जा रहा है.
सोशल मीडिया साइट्स पर ऐसे कई वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं जिसमें ईरान की सड़कों पर नैतिक पुलिस जिसे मॉरल पुलिस या हिजाब पुलिस भी कहा जाता है प्रदर्शनकारी महिलाओं पर जुल्म ढाती नज़र आ रही है. ऐसा ही एक वीडियो ट्वीटर पर मेहदी नाम के यूजर ने शेयर किया है वो लिखते हैं, “#ईरान की सड़कों पर पुलिस महिलाओं को परेशान कर पीट-पीट कर मार रही है. दिल टूट रहा है लेकिन देश जाग रहा है”

ऐसा ही एक वीडियो पत्रकार मसीह अलिनेजादी ने भी शेयर किया है वो लिखती हैं, “#MahsaAmini की निर्मम मौत के विरोध में इस बहादुर महिला ने अपना हिजाब उतार दिया और निडर होकर सुरक्षा बलों की ओर बढ़ रही है. मैं दुनिया भर के नारीवादियों और स्वतंत्रता सेनानियों को ईरानी महिलाओं का समर्थन करने और शासन के खिलाफ लोगों के विद्रोह का समर्थन करने के लिए आमंत्रित करती हूं”

वह अपने एक और ट्वीट में लिखती हैं कि ईरान जाग रहा है. “ये ईरानी युवक नारे लगा रहे हैं; एकता, एकता! सिर्फ 3 साल पहले ईरानी शासन ने नवंबर में 1500 प्रदर्शनकारियों को खून से लथपथ मार डाला था. लेकिन देखिए ये युवक कितना निडर होकर सड़कों पर उतर आए। #MahsaAminii ने दमनकारी शासन के खिलाफ ईरानी लोगों को एकजुट किया.“

बदल रहा है ईरान
इसी तरह सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट भी बड़ी संख्या मौजूद हैं जो ये साबित करना चाहते हैं कि ईरान बदल रहा है. लोग महिलाओं के हक़ के लिए लड़ने आगे आ रहे हैं. जैसे की एक यूजर फरीदा घिटिस ने अपने ट्वीट में एक वीडियो शेयर कर लिखा है. ईरान में इस शख्स ने एक महिला को थप्पड़ मारा. उसने सोचा कि वह ऐसा कर बच सकता है लेकिन अब चीजें अलग हैं.”

वॉल स्ट्रीट सिल्वर आईडी से भी एक पोस्ट शेयर की गई है जिसमें लिखा है, “ईरान की महिलाओं ने अब मुल्लाओं से डरना बंद कर दिया है. वो उन्हें बाहर निकलने के लिए कह रहे हैं, देश छोड़ दो.“

प्रदर्शन पश्चिमी मीडिया की साजिश!
वैसे सिर्फ महिलाओं के समर्थन में ही नहीं प्रदर्शन के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली जा रही है. इन पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ और ईरान की मौजूदा सत्ता के समर्थन में भी लाखों लोग सड़क पर उतर रहे हैं. इन लोगों का माननना है कि ईरान को अस्थिर करने के लिए पश्चिमी मीडिया की ये साजिश है. ईरान में विरोध की जो तस्वीरें दुनिया में दिखाई जा रही है असल में वो हकीक़त नहीं है. अपने को पत्रकार बताने वाली मारवा उस्मान नाम की एक यूज़र ने ऐसा ही एक पोस्ट शेयर किया है वो लिखती हैं, “पाखंडी पश्चिमी मीडिया पर ऐसी खबरें और तस्वीरें आपने कभी नहीं देखी होंगी. पश्चिमी तोड़फोड़ और हस्तक्षेप के खिलाफ #ईरान के समर्थन में प्रदर्शन, दंगाइयों का विरोध, चाहे वे लोग हो जो सोचते हैं कि वह कुछ अच्छा कर रहे हैं, या जिन्हें बुरा करने के लिए पैसे दिया गया है.”

क्या है इस विरोध के फैलने की वजह?
जानकारों का मानना है कि ईरान के कई शहरों से सामने आ रही तस्वीरें जिसमें महिलाएं जींस पहने, बिना हिजाब के मार्च कर रही हैं और ‘तानाशाह के अंत’ का नारा लगाती नज़र आ रही हैं. असल में वो जिस तानाशाह की बात कर रही हैं वो हैं वर्तमान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी जिन्होंने इसी साल 5 जुलाई को हिजाब कानून को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया था.
जिसके बाद नैतिकता पुलिस ने महिलाओं के पोशाक और हिजाब को लेकर निगरानी कड़ी कर दी. कानून के खिलाफ जाने वालों को भारी जुर्माना, गिरफ्तारी और यहां तक कि मौत का भी सामना करना पड़ा. ऐसा नहीं है कि ईरान में पहले नैतिक पुलिस का जुल्म नहीं था लेकिन राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के आने के बाद से सख्ती ज्यादा की गई है जिसका नतीजा है कि ईरान की महिलाएं आज सड़कों पर हैं.

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